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________________ ३७१ जैनशिलालेख-संग्रह [१९० ५६० वालेहल्लि (धारवाड, मैसूर) कन्नड [ इस लेख में मार्गशिर १० १०, शुक्रवार, शुभकृत् सवत्सरके दिन माधवचन्द्रदेवके शिष्य नागगौडको पली सायिगवुडिके समाधिमरणका उल्लेख है। ] [रि० इ० ए० १९४७-४८ क० १९१ पृ० २३ ] गुडुगुडि (धारवाड, मैसूर) कन्नड [ यह लेख सरस्त (सूरस्त ) गणके किसी भाचार्यकी शिष्या नागवेके समाधिमरणका स्मारक है। ] [रि० इ० ए० १९४७-४८ ३० २०० पृ०२४] ५६२ मन्तगि (धारवाड, मैसूर) कन्नड [ यह लेख टूटा है। हरिकेसरिदेव, हरिकान्तदेव तथा तोयिमरस द्वारा विभिन्न वसदियोको दिये गये भूमिदानोका इसमें उल्लेख है। इनमें बकापुरको उम्पटाचण वसदि तथा कोन्तिमहादेविय बसदिका भी समावेश है। [रि० इ० ए० १९४७-४८ क्र० २०८ पृ० २५]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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