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________________ अनुसार वह गधे का एक बाल तोड़ लेती है। यह आने-जाने वाले भी देखते हैं। अब यह देख दर्शक विचारने लगते हैं कि अगर रानी ने गधे का एक बाल तोड़ा है तो हम भी तोड़ेंगे। परिणाम यह निकलता है कि गधा गंजा हो जाता है। किन्तु अब भी कुछ लोग ऐसे रह जाते हैं जिन्हें एक भी बाल नहीं मिलता। उनको तो गधा करामती दिख रहा था, इसलिये वे अब गधे की खाल नोंचने लगते हैं। खाल नोंचते-नोंचते आखिर क्या होता है कि बेचारे गधे के प्राण निकल जाते हैं। - इसी का नाम रूढ़िवाद है और इसी का नाम भेड़चाल है, जिसका फल अनन्त-संसार-रूप दुःख ही है। पंडित श्री टोडरमल जी ने 'मोक्षमार्ग प्रकाशक' ग्रंथ में लिखा है जिनके बहुत प्रकार मिथ्यात्व का प्रबलपना पाया जाता है तो उनको मोक्ष कैसे हो? झूठे ही भ्रमबुद्धि से माने, सो प्रयोजन की सिद्धि नहीं होती। दृष्टांत है- जैसे अज्ञानी बालक मिट्टी का हाथी, घोड़ा, बैल आदि बनाता है और उसको सत्य मानकर बहत प्रीति करता है तथा उस सामग्री को पाकर बहुत प्रसन्न होता है। पश्चात् उसको कोई फोड़े व तोड़े अथवा ले जाये तो बहुत दुःखी होता एवं रोता है। उसको ऐसा ज्ञान नहीं है कि यह झूठा/कल्पित है। वैसे ही अज्ञानी मोही पुरुष बालक के समान कुदेवादिक को तारण-तरण मानकर उनकी सेवा (उपासना) करता है। उसे ऐसा ज्ञान नहीं है कि ये स्वयं तरने में असमर्थ हैं तो मुझे कैसे तारेंगे? पुनः और दृष्टांत कहते हैं कि किसी पुरुष ने काँच का टुकड़ा पाया तथा उसमें चिंतामणि रत्न की बुद्धि की और यह जाना कि यह चिंतामणि रत्न है, सो मुझे यह बहुत सुख देने वाला होगा, यह मुझे मनोवांछित फल देगा, सो भ्रमबुद्धि से कांच के टुकड़े को पाकर ही प्रसन्न हुआ, तो क्या वह चिंतामणि रत्न हुआ? और क्या उससे मनवांछित फल की सिद्धि होगी? कदापि नहीं होगी। काम पड़ने पर उसकी आराधना करे तथा उसको बाजार में बेचे, तो दो कौड़ी की प्राप्ति होगी। 615
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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