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कि ये भगवान् हैं, सो उन्होंने नारियल फोड़ना भी शुरू कर दिये । अब जो भी आये, सो वहाँ नारियल चढ़ाकर पूजा आदि करने लगे । धीमे-धीमे वहाँ सुरक्षा के लिये पुलिस की व्यवस्था भी करनी पड़ी। अब लोग लाइन लगाकर दर्शन करने लगे। पंडों ने देखा कि यहाँ तो खूब भोग चढ़ रहा है, सो वे भी वहीं अपना फट्टा बिछाकर बैठ गये। वहाँ की कमेटी के अध्यक्ष आदि भी बन गये ।
8 दिन बाद वह युवक आया और उसने देखा कि जिस पेड़ के नीचे मैंने अपने जूते रखे थे, वहाँ तो नारियलों का ढेर लगा है। यहाँ तो लोग पूजा कर रहे हैं। वह वहाँ के अध्यक्ष के पास गया और कहा कि यहाँ तो मेरे जूते रखे हैं और ये लोग पूजा कर रहे हैं। अध्यक्ष ने कहा कि चुप रहो, नहीं तो ये लोग तुम्हारी पिटाई कर देंगे। जब ये प्रोग्राम समाप्त हो जाये, तब रात में आकर तुम अपने जूते उठा ले जाना ।
इस प्रकार अज्ञान के कारण लोग कुछ भी उल्टे-सुलटे काम कर उसमें धर्म मानते हैं। जब नई गाड़ी लाते हैं तो उसकी पूजा करते हैं । बताओ, उसमें भगवान् कहाँ हैं? ब्रेक में हैं या टायर में हैं? जो तथ्यों की सच्चाई से अनभिज्ञ होता है, वह अन्धानुकरण करता है । उसको कभी इष्ट फल की प्राप्ति नहीं हो सकती ।
किसी नगर में एक राजा एवं उनकी रानी रहती थी । एक दिन नगर में एक बहुत सुन्दर मेले का आयोजन हुआ। रानी राजा से कहती है कि आज मैं बाजार घूमने जाना चाहती हूँ। नगर में मेला भी बहुत सुन्दर लगा है । राजा यह सुन स्वीकृति नहीं देते। रानी हठ कर बैठती है कि मैं तो आज अवश्य जाऊँगी। अब राजा कहते हैं कि ठीक है, अगर तुम जाना ही चाहती हो तो जाओ, किन्तु मेले में यदि तुम्हें कोई गधा मिल जाये तो उसका एक बाल तोड़ लेना और महल में ले आना। रानी सेवकों के साथ बाजार घूमती हुई मेले में पहुँच जाती है। मेले में उसे एक गधा मिल जाता है। उसे राजा की कही बात तुरन्त याद आ जाती है। राजा के कहे
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