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आवश्यकता पड़े, तो महल में आ जाना। लाओ पेन कागज, उस पर मैं अपना पता लिख दूँ ।' उसने कहा कि 'यहाँ कहाँ से पेन - कागज आये ? उसने एक टूटा घड़ा और कोयले का टुकड़ा उठाकर दिया । सम्राट ने कोयले से टूटे घड़े पर अपना नाम व पता लिख दिया और कहा - 'जब आप आओ, तो महल में मेरे पास ले आना।' सम्राट चला गया।
एक साल खेती नहीं हुई, सूखा पड़ गया। किसान सम्राट के पास मदद माँगने गया, साथ में जिस टूटे घड़े पर उसने पता लिखा था वह भी ले गया। दरबारियों ने उसे महल में घुसने से मना किया। उसने वह टूटा घड़ा दिखाया और कहा 'अकबरिये से जाकर कहो कि जिसने तुम्हें गन्ने का रस पिलाया था, वह किसान आया है।' उसे अकबर के पास ले जाया गया। अकबर ने उसे आदरसहित महल में बिठाया, लेकिन नमाज अदा करने का समय हो रहा था, तो अकबर ने कहा कि तुम पाँच मिनट बैठो मैं नमाज अदा कर लूँ, उसके बाद चर्चा करूँगा ।
अकबर ने सफेद कपड़ा बिछाया और नमाज अदा करने लगा, ऊपर की तरफ हाथ उठाकर खुदा से प्रार्थना करने लगा। किसान गौर से अकबर की नमाज अदायगी देखता रहा । अकबर ने नमाज अदा की और किसान से कहा – 'माँगो, क्या चाहिये ।' उसने कहा आप आसमान की तरफ हाथ फैलाकर क्या कर रहे थे? अकबर ने कहा - मैं खुदा से दुआ माँग रहा था कि मेरे राज्य में खैरियत रखना, सबको सुखी रखना । उसने कहा 'एक भिखारी दूसरे भिखारी को क्या दे सकता है ? जब तुम स्वयं हाथ फैलाकर माँग रहे हो, तब मैं क्यों तुम्हारे सामने अपना हाथ फैलाऊँ ? इतना कहकर वह चला गया ।
इसी प्रकार जो स्वयं रागी -द्वेषी हैं, संसार में परिभ्रमण कर रहे हैं, वे कुदेवादि हमारे दुःखों व संसारभ्रमण का अन्त नहीं कर सकते । वीतराग भगवान् ही संसारसमुद्र को सोखनेवाले तथा दुःखों के हर्ता हैं । यदि हमें
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