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मिलता है। उसका तुलनात्मक विवेचन इस प्रकार है -
(1) समवायांग सूत्र - (1) स्त्री, पशु और नपुंसक से संसक्त शयन और आसन का वर्जन। (2) स्त्री कथा का वर्जन। (3) स्त्रियों के इन्द्रियों के अवलोकन का वर्जन। (4) पूर्व भुक्त तथा पूर्व क्रीड़ित काम भोगों की स्मृति का वर्जन। (5) प्रणीत आहार का वर्जन। (2) प्रश्नव्याकरण सूत्र - (1) असंसक्तवास वसति। (2) स्त्री जन में कथा वर्जन। (3) स्त्री जन के अंग-प्रत्यंग और चेष्टाओं के अवलोकन का वर्जन। (4) पूर्व भुक्त भोगों की स्मृति का वर्जन। (5) प्रणीत रस भोजन का वर्जन। 96 (3) आचार चूला - (1) स्त्रियों में कथा का वर्जन। (2) स्त्रियों के अंग-प्रत्यंगों के अवलोकन का वर्जन। (3) पूर्व भुक्त भोग की स्मृति का वर्जन। (4) अतिमात्र और प्रणीत पान-भोजन का वर्जन। (5) स्त्री आदि से संसक्त शय्यासन का वर्जन। (4) आवश्यक नियुक्ति - (1) आहार गुप्ति। (2) अविभूषितात्मा। (3) स्त्रियों के अवलोकन का वर्जन। (4) स्त्रियों के संसक्त वसति का वर्जन। (5) स्त्रियों की कथा का वर्जन। 100 (5) भगवती आराधना - (1) स्त्रियों के अंग नहीं देखना। (2) पूर्वानुभूत भोगादिक का स्मरण नहीं करना। (3) स्त्रियाँ जहाँ रहती है वहाँ नहीं रहना। (4) शृंगार कथा नहीं करना।