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2.5.9.धर्म की हानि 2.6 आध्यात्मिक हानियां
2.6.1.ज्ञान का विपर्यास 2.6.2.अत्राणता और अशरणता 2.6.3.प्रमाद का जनक 2.6.4.दु:ख 2.6.5.उपसर्ग 2.6.6.दुर्गति 2.6.7.भव वृद्धि 2.6.8.आश्रव/ कर्म बंधन का हेतु 2.6.9.धर्म से पतन
2.6.10. महामोहनीय कर्म का बन्धन 3.0 निष्कर्ष 4.0 संदर्भ
अध्याय चतुर्थ ब्रह्मचर्य : सुरक्षा के उपाय
1.0 ब्रह्मचर्य सुरक्षा का महत्त्व 2.0 ब्रह्मचर्य सुरक्षा के उपाय
2.1.0 विविक्तशयनासन 2.1.1.विविक्तशयनासन के उद्देश्य 2.2.0.स्त्री संस्तव एवं संवास का वर्जन 2.2.1.स्त्री संस्तव के दोष 2.2.2.स्त्री चरित्र (स्वभाव) का वर्णन 2.3.0 स्त्री कथा का वर्जन
2.3.1. स्त्री कथा का अर्थ 2.3.2.स्त्री कथा के प्रकार 2.3.3. स्त्री कथा के दोष
2.4.0 स्त्रियों के स्थानों का सेवन वर्जन 2.5.0 स्त्रियों के मनोरम इन्द्रियों को न देखना
(दृष्टि संयम), न चिन्तन करना (मनःसंयम) 2.6.0 प्रणीत रस वर्जन
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