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१८२] श्रीप्रवचनसारटोकां।
अन्वय सहित सामान्यार्थ-( आगासस्सवगाहो) आकाश द्रव्यका विशेष गुण सर्व द्रव्योको जगह देना ऐसा अवगाह गुण है, (धम्मदव्वस्स गमणहेदुत्तं ) धर्म द्रव्यका विशेषगुण जीव पुनः लोके गमनमे कारण ऐसा गमनहेतुत्त्व है, (पुणो धम्मेदरदव्वरस दु गुणो ठाण कारणदा) तथा अधर्म द्रव्यका विशेष गुण जीव मुगलोंको स्थितिका कारण स्थानकारणता है, (कालस्स वट्टणा से) काल द्रव्यका विशेष गुण सभी द्रव्योमे समय२ परिणमनकी प्रवृत्तिका कारण वर्तना है और (अप्पणो गुणोवओत्ति मणिदो) आत्माका विशेप गुण उपयोग है ऐसा कहा गया है। (हि) निश्चयसे (मुत्तिप्पहीणाणं गुणा) मूर्ति रहित द्रव्योके विशेष गुण इस तरह (संखेवादो णेया) संक्षेपसे जानने योग्य है।
विशेपार्थ- सर्व द्रव्योको साधारणरूपसे अवगाह देनेका कारणपना आकाशका ही विशेप गुण है क्योकि अन्य द्रव्योंमे वह गुण असंभव है इसलिये इस विशेष गुणसे आकाशका निश्चय होता है। एक समयमें गमन करते हुए सर्व जीव तथा पुगलोको साधारण गमनमे हेतुपना धर्म द्रव्यका ही विशेष गुण है क्योंकि अन्य द्रव्योमे यह असंभव है। इसी गुणसे धर्म द्रव्यका निश्चय होता है। इसी तरह एक समयमे स्थिति करते हुए जीव पुद्गलोको साधारण स्थितिमे कारणपना अधर्म द्रव्यका ही विशेष गुण है क्योकि अन्य द्रव्योमे यह असम्भव है। इसी गुणसे अधर्म द्रव्यका निश्चय होता है। एक समयमे सर्व द्रव्योनी पर्यायोके परिणमनमें हेतुपना काल द्रव्यका विशेष गुण है क्योंकि अन्य द्रव्योमें यह असम्भव है। इसी गुणसे काल द्रव्यका निश्चय होता है ।