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________________ . ..... दिनीय गट (१७७ नांगगे । इन गोही अनेक अवस्था, नगतमें होरही है। उन्दीका हिमग करा लिये पुलकी । मानिकी अवस्थाएं बताई गई है 1) स्कूल स्म-निमफे राजरिये नावेही ये विना रिसी नीना मोर गाये सन मिल सके। नगे पागन, लकड़ी, पर पर मादि। ) स्त-निमको अन्नग करनेपर दिना दृमरी चीनके मोदगिन नाचे नगे पानी, मरस्त. दप लादि पानेवाले पटाय। स्थर सक्षम को नेत्र इटियने नाने ना तमा मिनतो हम पकन मेरे अया, मानार, उमौत । समन्च-नो नेत्र हिने न जाने ना किन्तु पन्य नामिसिनी गाने नापक मेना.रम, गध, गं। नन-पानों ही इंद्रियोग न माने जाके में पानी वर्गणा आदि। क्ष-अविभागी पुल परमाश | यापर परमानमाण कर चुके फिनो निन्याने प्राण दिया गाय मी क सम या गम मुम ना मागे नती ग्राण लिये ना सके तब उनले मृतक न मानना चाहिये ? उम माया नमाधान यह है कि उन सोम स्पर्श, रम, राध, वर्ण है निनकोटियां अटण कर मामी है परन्तु ये ऐसी दगा है मिनको :विध अगोचर व्यवहार में पहने है। वे ही जब भेद संघात परिणगते है तर कालांतरमें इंद्रियोंके गोचर हो जाने है उनमें शक्ति ता है परन्तु व्यक्ति कालान्तरमें हो जायगी । इसलिये सूक्ष्म भी इंद्रियगोचर मूर्तीक कहे जाते है। यदि मृतींकपना
SR No.009946
Book TitlePravachan Sara Tika athwa Part 02 Gneytattvadipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages420
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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