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द्वितीय खंड |
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जायेंगे। इन स्कंधों की अनेक अवस्थाएं जगतमें होरही हैं। उन्हींका दिग्दर्शन करानेके लिये पुगलकी छः जातिकी अवस्थाएं बताई गई हैं(१) स्थूल स्थूल - जिसके खंड किये जावें तौ वे बिना किसी चीनका जोड़ लगायें स्वयं न मिल सके। जैसे कागज, लकड़ी, कपड़ा, पत्थर आदि ।
(२) स्थूल - जिसको अलग करनेपर बिना दूसरी चीजके जोड़के मिल जावें जैसे पानी, सरबत, दूध आदि बहनेवाले पदार्थ । (३) स्थून सूक्ष्म- जो नेत्र इंद्रियसे जाने जावें तथा 'जिनको हम पकड़ न सके जैसे छाया, आताप, उद्योत । (४) मक्ष्म स्थूल - जो नेत्र इंद्रियसे न जाने जावें किन्तु अन्य चार इंद्रियोंसे किसीसे जाने जाम जैसे शब्द, रम, गंध, स्पर्श । (५) सूक्ष्म स्कंध पांचों ही इंद्रियोंसे न जाने जासकें जैसे कार्माण वर्गणा आदि ।
(६) सूक्ष्म सूक्ष्म-अविभागी पुद्गल परमाणु । यहांपर पहले मूर्तीका लक्षण कर चुके हैं कि जो इंद्रियोंसे ग्रहण किया जावे सो मूर्ती हैं । सूक्ष्म या सूक्ष्म सूक्ष्म जब इंद्रियोंसे नहीं ग्रहण किये जा सके तब उनको मूर्तीक न मानना चाहिये ? इस शङ्काका समाधान यह है कि उन सबों में स्पर्श, रस, गंध, वर्ण हैं जिनको इंद्रियां ग्रहण कर सक्ती हैं परन्तु वे जिनको इंद्रिय अगोचर व्यवहारमें कहते हैं। संघात से परिणमते हैं तंत्र कालांतर में इंद्रियों के गोचर हो जाते हैं उनमें शक्ति तो है परन्तु व्यक्ति कालान्तरमें हो जायगी । इसलिये सूक्ष्म भी इंद्रियगोचर मूर्तीक कहे जाते हैं। यदि मूर्तीकपना
ऐसी दशा में हैं
वे ही जब भेद
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