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द्वितीय खंड।
[१०७ मिर्च साथ ५ नोन खटाई साथ, ६ मिर्च खटाई साथ तथा ७ नोन मिर्च खटाई साथ | इससे अधिक भिन्न अवस्था तीन वस्तुओंकी नहीं होसक्ती।
इसी तरह दो विरोधी स्वभाव और एक अवक्तव्य ये तीन स्वभाव द्रव्यमे होकर उसका कथन सात तरह से किया जासक्ता है, आठ तरहसे नहीं होसक्ता है। यदि छः तरहसे करें तो एक भेद शेष रह जायगा। दूसरा दृष्टान्त हम ले सक्ते है कि किसीने हमको शकर चने और बादाम तीन वस्तुएं दी
और कहा कि इसकी मिश्रित मिठाइये ऐसी बनाओ जो एक दूसरेसे भिन्न हों। ऐसी दशामे हम चार प्रकारकी ही बना सक्ते हैं जैसे शकर और चनेके मिलानेसे एक प्रकारकी, शक्कर और बादामकै मिलानेसे दूसरे प्रकारकी, चने और वादामको मिलाकर तीसरे प्रकारकी तथा गकर चने और बादामको मिलाकर चौथे प्रकारकी इस तरह तीन अलग व चार मिश्र ऐसे सात भेद तीनके होसक्ते है । हरएक द्रव्यमें एक, अनेक, अस्ति, नास्ति, नित्य, अनित्य, इत्यादि दो दो विरोधी स्वभाव पाए जाते है। तीसरा. खभाव अवक्तव्य है । अवक्तव्य एक अनेक, अस्ति नास्ति, नित्त्य अनित्त्य, सबके साथ लगानेसे तीन स्वभाव होजावेंगे इनका खुलासा. करनेके लिये सात तरहका उपाय है जिससे शिष्यके दिलमे विना शकाके पदार्थ जम नावे। जैसे द्रव्य द्रव्यकी अपेक्षा नित्त्य है, पर्यायकी अपेक्षा अनित्य है । दोनोंको एक साथ एक समयमें नही. कह सके इससे द्रव्य अवक्तव्य है।
शिष्यको समझानेके लिये इस तरह चार भंग कहेंगे । द्रव्य