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२०६] श्रीप्रवचनसारटोका। यमें कहनेकी अपेक्षा अवक्तव्य है। यह स्यात् अभेदः एव अवक्तव्य पांचवां भंग है।
शिष्य प्रश्न-क्या अवक्तव्य होते हुए भेद स्वरूपको नहीं रखता है ?
उत्तर-अवश्य भेद खरूपको रखता है परंतु एक समयमे कहनेकी अपेक्षा अवक्तव्य है । यह स्यात भेदः एव अवक्तव्यं छठा भंग है।
शिष्य प्रश्न-क्या अवक्तव्य होते हुए ये दोनो स्वभावोको नही रखता है ?
उत्तर-यह अवश्य दोनोस्वभावोंको रखता है परंतु एक समयमे कहनेके अभावसे अवक्तव्य है। यह स्यात् अभेद भेद एवं अवक्तव्यं सातवां भंग है। जहां एक पदार्थमे तीन स्वभाव पाए जायगे वहां उसके सात मंग वन सक्ते है जैसे यह कागज लाल, पीला, हरा है -एक तरफ लाल है, दूसरी तरफ पीला है और किनारेपर हरा है। ये तीन भंग तो ये हुए, चार इस तरहपर होंगे कि ये लाल और पीला है, लाल हरा है, पीला हरा है तथा लाल पीला हरा है। इसको इस तरह कह सक्ते है। किनारोको छोड़कर दोनो तरफकी अपेक्षासे देखो तो ये लाल और पीला है। एक एक तरफको अलग२ देखो तो यह लाल हरा है तथा पीला हरा है। यदि सब तरफकी बात एक साथ देखो तो यह कागज लाल पीला हरा है।। ___ अथवा हमारे पास नोन, मिर्च, खटाई हो तो इसको सात अवस्थाओमें रख सक्ते हैं
१ अलग नोन २ अलग मिर्च २ अलग खटाई ४ नोन