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२२, निक्षेप
५. स्थापना निक्षप
मित्र सत्ता वाला नही है। इसी प्रकार काना कुबडा आदि नाम समझ लेना चाहिये।
४ गण वाचक नाम-जो पर्याय आदिक से परस्पर विरूद्ध हो अथवा अविरूद्ध हो उसे गुण कहते है ।---जैसे कृष्ण, रूधिर इत्यादि गुण निमित्तक नाम है, क्योकि कृष्ण आदि गुणों के निमित्त से उन गुण वाले द्रव्यो मे ये नाम व्यवहार मे आते है ।
५. क्रिया नाम-परिस्पन्द अर्थात हलन चलन रूप अवस्था को क्रिया कहते है। जैसे गायक नर्तक इत्यादि क्रिया निमित्तक नाम है, क्योकि गाना, नाचना इत्यादि क्रियाओं के निमित्त से गायक नर्तक आदि नाम व्यवहार मे आते हैं । .
६. अर्थ नाम --एक व बहुत जीव तथा अजीव से उत्पन्न प्रत्येक व सयोगी भगों के भेद से 'अर्थ' आठ प्रकार का है। अर्थात एक जीव, नाना जीव, एक अजीव, नाना अजीव, एक जीव एक अजीव, नाना जीव नाना अजीव, एक जीव नाना अजीव, एक अजीव नाना जीव इस प्रकार अर्थ नाम आठ प्रकार से कहा जा सकता है।
७. प्रत्यय निबन्ध नाम-इन आठ अर्थो मे उत्पन्न हुआ ज्ञान प्रत्यय निबन्धन नाम कहलाता है।
८. अभिधान निबन्ध नाम--जो संज्ञा शब्द-प्रवृत्त होकर अपने आपको जतलाता है वह अभिधान निबन्धन कहा जाता है ।
गुणो आदि की अपेक्षा किये बिना किसी अन्य वस्तु को कल्पना
५. स्थापना निक्षेप मात्र से किसी अन्य वस्तुरूप मानकर उसे वह नाम देदेना स्थापना निक्षेप है, क्योकि यहां अन्य वस्तु मे अन्य वस्तु की स्थापना की गई है। जैसे कि खेल खेलते हुए बच्चे किसी लड़के में