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२२. निक्षेप ..
४. नाम निक्षेप • -... लक्षणेन्दन क्रियानिमित्तान्तरानपेक्षं कस्यचित् 'इन्द्र'
इति नाम ।
। अर्थः-शब्द प्रयोग के जाति गुण प्रिया आदि निमित्तों की
- अपेक्षा न करके की जाने वाली सज्ञा 'नाम' है । जैसे - - । - परम ऐश्वर्य रूप इन्दन क्रिया की अपेक्षा न करके किसी
का भी इन्द्र नाम रख देना नाम निक्षेप है ।
( स . सा. 1१३। प्रा. कलश ८ की टीका ) ( त. सा. 1१।१०।११) (गो. क ।मु।५२) (श्ल. वा. पु. २।पृ २६१) (प्र. सा.त प्र परि नय नं.१२) (वृ. न. च । २७२।)
२. अब नाम निक्षेप के उत्तर भेदों के लक्षण देखिये:
१ ध। प. ११ पृ. १७।१७ १. जाति नामः-तद्भाव और सादृश्य लक्षण वाले सामान्य को जाति कहते है ।-जैसे 'गो', 'मनुष्य', 'घट', 'पट', 'स्तम्भ' और 'वेत' इत्यादि जाति निमित्तक नाम है। क्योकि ये सज्ञाये गौ मनुष्यादि जाति मे उत्पन्न होने से प्रचलित है ।
२ संयोग द्रव्य नाम -अलग अलग सत्ता रखने वाले द्रव्यो के मेल से जो पैदा हो उसे संयोग द्रव्य कहते है। जैसे दण्डी छत्री, मौली इत्यादि संयोग द्रव्य निमित्तक नाम है, क्योंकि दंडा, छतरी, मुकुट इत्यादि स्वतंत्र सत्ता वाले पदार्थ है, और इन के संयोग से दण्डी, छत्री, मौली इत्यादि नाम व्यवहार मे आते है।
३ समवाय द्रव्य नाम-जो द्रव्य मे समवेत हो अर्थात कचित तादात्म्य रखता हो उसे समवाय द्रव्य कहते है। जैसे गलगण्ड, काना, कुबड़ा इत्यादि समवाय द्रव्य निमित्तक नाम है। क्योकि जिस के लिये 'गलगण्ड' इस नाम का उपयोग किया है उससे गले का गण्ड