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२१ अन्य अनेको नय
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२. सर्व नयो का मूल
नयो मे अन्तर्भाव पर द्रव्य को कार्य की सिद्धि मे कारण मानने के कारण यह लक्षण आगम पद्धति का विषय नही । अध्यात्म पद्धति मे यह 'अनुपचरित असद्भुत व्यवहार' नय मे गर्भित होता है । ३४ ईश्वर नय
"आत्मद्रव्य ईश्वर नय से परतन्त्रता भोगने वाला है- धाय के आधीन खानपान आदि क्रिया करते हुए पथी बालक की भाति ।" पर पदार्थ का आश्रय दर्शाने के कारण यह लक्षण भी आगम पद्धति का विषय नही । अध्यात्म पद्धति मे यह 'असदभुत व्यवहार' नय का विषय है।
वाला ह-हरण.
३५ अनश्विर नय:___ 'आत्मद्रव्य अनश्विर नय से स्वतंत्रता भोगने - - - को स्वच्छन्दता से फाड़ कर खाने वाले निज भावो मे ही कर्ता-
ल सिह की भाँति ।” द्रव्य क ---
कम रूप द्वैत दर्शाने के कारण यह लक्षण मागम पद्धति के 'स्व चतुष्टय ग्राहक शुध्द द्रब्यार्थिक व संग्रह' नय में तथा अध्यात्म पद्धति के 'निश्चय नय सामान्य' मे गर्भित होता है। ३६ गुणी नयः
“आत्मद्रव्य गुणी नय से गुणग्राही है-शिक्षक के द्वारा जिसको शिक्षा देने मे आती है ऐसे कुमार की भांति । " एक द्रव्य के गुण को दूसरे मे उपचार होने के कारण यह लक्षण आगम पद्धति का विषय नही । अध्यात्म पद्धति मे यह 'असदूभूत ब्यवहार' नय मे गर्भित होता है। ३७ अगुणी नय--
''आत्मद्रव्य अगुणी नय से केवल साक्षी ही है-शिक्षक के द्वारा शिक्षण प्राप्त करनेवाले कुमार के प्रेक्षक अर्थात देखनेवाले की भाति ।"