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१४. व्यवहार नय सम्बन्धी शंका समाधान
शंका - सद्भूत व्यवहार नय व निश्चय नय मे क्या अन्तर है ?
१६. व्यवहार नय
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उत्तर –सद्भूत व्यवहार नय वस्तु के अद्वैत भाव मे गुण गुणी आदि रूप द्वैत उत्पन्न करके उनके मध्य लक्ष्य लक्षण भाव दर्शाता है जैसे 'जीव ज्ञानवान है' और निश्चय नय सम्पूर्ण अगो से तन्मय अखण्ड द्रव्य को देखते हुए किसी एक अग, गुण या पर्याय मात्र ही द्रव्य को बताकर लक्ष्य व लक्षण मे अभेद करता है । जैसे जीव ज्ञान मात्र है अथवा केवल ज्ञान ही जीव है, " ।
शंका - व्यवहार नय को असत्यार्थ कहकर छोड़ने के लिये क्यो कहा जाता है ?
उत्तर - क्योंकि यह वस्तु को जैसी है वैसी निरूपण नही करता । या तो उसको खण्डित करके उसमे द्वैत उत्पन्न कर देता है या भिन्न भिन्न पदार्थो को एकमेक मान लेता है । ऐसी मान्यता से भ्रम दूर होने नही पाता । वह लौकिक रूढि का प्रदर्शन करता है । परमार्थ इससे दूर रहता है ।
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