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विशुद्ध अध्यात्म नय
१. विशुद्ध अध्यात्म परिचय, २ निश्चय नय, ३. व्यवहार नय
सामान्य,
४. सद्भूत व्यवहार नय सामान्य, ५. उपचरित अनुपचरित
सद्भूत व्यवहार नय,
६. सद्भूत व्यवहार नय सामान्य, ७. उपचरित अनुपचरित
असद्भूत व्यवहार नय,
८. शंका समाधान
अब तक जिस प्रकार अध्यात्म का परिचय दिया गया वह १ दिशुद्ध अध्यात्म अत्यन्त स्थल है, क्योकि उसमे सर्वत्र उपचारो का
परिचय ग्रहण करना कोई दोष नही । संसारी व मुक्त जीव यद्यपि जीव द्रव्य नहीं है जीव की द्रव्य पर्याय है फिर भी उन्हें वहा द्रव्य स्वीकार कर लिया गया है। इसी प्रकार केवल ज्ञान व मति ज्ञान यद्यपि ज्ञान गुण नही है ज्ञान की व्यञ्जन पर्याये है, फिर भी उन्हे वहा गुण स्वीकार कर लिया गया है । ग्रन्थाधिराज' समयसार की अत्यन्त विशुद्ध अध्यात्म दृष्टि ऐसे उपचार को सहन नहीं करती । यहां द्रव्य का अर्थ अपने सम्पूर्ण त्रिकाली वा क्षणिक भावो से तन्मय एक अद्वैत सत् है । भेद निरपेक्ष शुद्ध द्रव्याथिक नय मे ग्रहण किये