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________________ १६ व्यवहार नय १ व्यवहार नय सामान्य का परिचय, २ उपचार के भेद व लक्षण, ३ व्यवहार नय सामान्य का लक्षण, ४ व्यवहार नय के कारण प्रयोजनादि, ५ व्यवहार नय के भेद प्रभेद, ६ सद्भूत व्यवहार का लक्षण, ७ सद्भूत व्यवहार के कारण व प्रयोजन, ८ शुध्द सद्भूत व्यवहार, ९ अशुध्द सद्भूत व्यवहार, १० असद्भूत व्यवहार नय का लक्षण, ११ असद्भूत व्यवहार नय के कारण प्रयोजनादि, १२ उपचरित असद्भूत व्यवहार नय, १३ अनुपचरित असद्भूत व्यवहार नय, १४ व्यवहार नय सम्बन्धी श का समाधान । अध्यात्म पद्धति के दूसरे प्रमुख तथा सर्व परिचित नय का नाम १ व्यवहार नय व्यवहार नय है । भले ही नाम लेकर न सही पर समान्य कापरिचय विषय भूत आश्रय की अपेक्षा सर्व साधारण के यही नय नित्य प्रयोग मे आ रहा है नैगमादि सात नयों के अन्तर्गत जिस व्यवहार को कह आये है, उसी का इस व्यवहार नय के प्रकरण मे अनेक भेद प्रभेदों द्वारा विस्तार करने मे आयेगा । क्योंकि व्यवहार नय द्वैत भाव को ग्रहण करता है, और द्वैत अनेक प्रकार से किया जा सकता है । व्यवहार अर्थात वि अव १ हार अर्थात विशेष प्रकार से निश्चित रूप मे
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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