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१८ निश्चय नय
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१२. निश्चय नय सम्बन्धी
शका समाधान
उत्तर-आगम पध्दति मे द्रव्य सामान्य का कथन किया जाता
है, और अध्यात्म पध्दति मे केवल जीव या आत्म द्रव्य का । आगम पध्दति मे हेयोपादेय की विवक्षा से रहीत पदार्थ को केवल जानने मात्र का प्रयोजन रहता है, परन्तु अध्यात्म पध्दति में स्व-पर तथा हेय-उपादेयका विवेक कराना प्रधान है ।
२ शंका-आगम पध्दति के द्रव्यार्थिक नय मे और अध्यात्म
पध्दति के निश्चय नय मे क्या अन्तर है ?
उत्तर-द्रव्यार्थिक नय भी द्रव्य के सामान्य व अभेद अंश को
ग्रहण करता है, तथा निश्चय नय भी । शुध्द द्रव्यार्थिक भी उसे सम्पूर्ण भेद व विशेषो से निरपेक्ष एक अनिर्वचनीय तत्व रूप से ग्रहण करता है और शुध्द निश्चय नय भी। इस प्रकार तो दोनों में कोई अन्तर नहीं। परन्तु उपरोक्त निर्विकल्पता के अतिरिक्त निश्चय नय गुण गुणी मे अभेद दर्शाकर भी अपने सम्पूर्ण भेदों के साथ तन्मय द्रव्य सामान्य को दर्शाता है, जिस प्रकार से कि द्रव्यार्थिक नय नही दर्शाता । दूसरे अशुद्ध द्रव्यार्थिक नय उस तत्व मे गुण-गुणी का भेद डाल देता है पर अशुद्ध भी निश्चय नय इस प्रकार का भेद स्वीकार नही करता। इस पद्धति मे भेद दर्शाना काम व्यवहार नय का है । इस प्रकार दोनों मे अन्तर है।
३ शंका:-शुद्ध निश्चय नय व एक देश शुद्ध निश्चय नय मे
क्या अन्तर है ?
__उत्तर.-शुध्द निश्चय नय का विषय विशुद्ध पूर्ण श द्ध व्यक्ति
अर्थात क्षायिक भाव से तन्मय द्रव्य है, और एक देश