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१८. निश्चय नय
१२. निश्चय नय सम्बन्धी
शका समाधान शुद्ध निश्चय नय का विपय आशिक शुध्द व्यक्ति अर्थात क्षायोपशमिक भाव के शुध्दाश से तन्मय द्रव्य है । शुद्धता के अश के आधार पर यह द्रव्य को पूर्ण शुद्ध ही कल्पित करता है।
४. शंका ---इस प्रकार शुद्ध व अशुद्ध निश्चय नय द्रव्य को विपय
करने वाले न रहे, क्योकि शुद्ध जीव या अश द्ध जीव वास्तव मे त्रिकाली जीव द्रव्य नहीं है, बल्कि उसकी कोई व्यञ्जन पर्याये है ?
उत्तरः-वात ठीक है। यद्यपि शुध्द व अश द जीव त्रिकाली
जीव नही है, परन्तु फिर भी इनको द्रव्य ही कहा गया है, पर्याय नही । कारण कि ये दोनो ही जीव पदार्थ के किसी व्यवहार गम्य एक रूप वाले नहीं है । इनमे अनेक रूपों या द्रव्य पर्यायो का सग्रह रहने के कारण अनेकता पाई जाती है। इसीलिये पहिले इन को सग्रह नय का विषय बना कर दर्शाया गया है। अत शुध्द व अशुध्द निश्चय नय सामान्य को या द्रव्य को ही ग्रहण करने वाले रहे, विशेष या पर्याय को नही।
५ शंकाः-वस्तु स्वरूप की अपेक्षा तो निश्चय नय कि व्यवहार
नय दोनो ही सच्ची है, फिर एक निश्चय नय को ही
उपादेय क्यो कहा जाता है ? उत्तर -ज्ञान की अपेक्षा तो दोनो ही समान रूप से उपादेय
है, क्योकि वस्तु के भेद व अभेद तथा उपादान व निमित्त दोनो ही अग जानने योग्य है । परन्तु चारित्र की अपेक्षा या मोक्ष मार्ग की अपेक्षा साधक को सब ही अग उपयोगी पड़ते हो ऐसा नहीं है। साधना की अपेक्षा