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१७. पर्यायार्थिक नय
ही द्रव्यो में इसे
सद्भाव अनित्य अशुद्ध पर्यायार्थिक भी है। सर्व लागू किया जा सकता है। आग पर रखे ओदन कुछ पक रहे है और कुछ पक चुके है' ऐसा कहना इसका उदाहरण है । इसीकी पुष्टि व अभ्यास के लिये निम्न उद्धरण देखिये ।
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१ वृ.न. च ।२०३ “यो गृहणात्येकसमये उत्पादव्ययवत्व सयुक्तम् स सद्भावानित्योऽशुद्ध पर्यायार्थिक नय । २०३ |
४ पर्यायार्थिक नय विशेष के लक्षण
अर्थ –– जो एक समय मे ही वस्तु को उत्पादव्यय ध्रुवत्व तीनो से युक्त ग्रहण करता है, वह सद्भाव अनित्य अशुद्ध पर्यायार्थिक नय है ।
२ . प ||
अर्थ
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७४ " सत्तासापेक्ष स्वभावो ऽनित्याशुद्धपर्यायार्थिको यथा एकस्मिन्समये त्रयात्मक. पर्याय. ।”
सत्ता सापेक्ष स्वभाव अनित्य अशुद्ध पर्यायार्थिक को ऐसा जानो जैसा कि पर्यीय एक समय मे ही उत्पाद व्यय ध्रुव रूप त्रयात्मक है ऐसा कहना ।
३. नय चक्र गद्य पृ ε स्वभावाऽनित्यकोऽशुद्ध पर्यायार्थो भवेदल धौव्योत्पत्ति व्ययाधीन द्रव्य स्वीकुरुतेऽध्रुव |४| "
अर्थ -- स्वभाव अनित्य अशुद्ध पर्यायार्थिक उत्पत्ति व्यय व ध्रुव इन तीनों के आधीन रहने वाले द्रव्य को अध्रुव स्वीकार करता है ।
द्रव्य के त्रिकाली सत् की भाति ही पर्याय का यह क्षणिक सत् अनित्य है । क्षणिक कारण ही अशुद्ध है । पर्याय रूप होने के कारण पर्यायाथिक का विषय है । अन्य निमित्त कारणो की अपेक्षा नही
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