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१६ द्रव्यार्थिक नय सामान्य
अर्थ - पर्यायार्थिक नय के गौण होने पर द्रव्यार्थिक नय की
प्रधानता से काल आत्मस्वरूप तथा अर्थ आदि आठ प्रकार से घट आदि पदार्थ मे सब धर्मो की अभेद मे स्थिति रहती है ।
२ द्रव्यार्थिक नय सामान्य के लक्षण
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६ प्र सा । त प्र । परि । नय नं० १ " तत्तु द्रव्यनयेन पटमात्र वच्चि - न्मात्रम् ।”
अर्थ - वह आत्मा द्रव्य नय से पटमात्र की भाति चिन्मात्र है ।
७ नय चक्र गद्य । पृ. २५ " निश्चयोऽभेदविषय. ।"
अर्थ:- निश्चय या द्रव्यार्थिक नय अभेद को विषय करता है ।
८. नय चक्र गद्य । पृ.०३१ “निश्चयनयस्तूपनय रहितोऽभेदानुपचारैक लक्षणमर्थं निश्चिनोति ।"
अर्थ - निश्चय नय है वह उपनय से रहित अभेद व अनुपचार लक्षण वाले अर्थ का निश्चय करता है ।
६. आ. प. १६।पृ १२६ “ अभेदानुपचारतया वस्तु निश्चीयतेति निश्चयः । "
अर्थ - अभेद और अनुपचरित रीति से जो पदार्थों का निश्चय करे सो निश्चय नय है |
१० वृ० द्र. स. । टीका । ८ । २१ “तत्काले - तप्तायः पिण्डवत्तन्मयत्वाच्च निश्चय ।"
अर्थः--उस समय अग्नि मे तपे हुए लोहे के गोले के समान तन्मय होने से निश्चय कहा जाता है ।