________________
१५ शब्दादि तीन नय
१२. तीनो का समन्वय
भी । शब्द की अपेक्षा शब्द नय अपना एक स्वतंत्र विषय रखता है, जिसके साथ द्रव्यार्थिक या पर्यायार्थिक किसी भी अन्य नय का कोई प्रयोजन नही ।
४४७
२ प्रश्न -- शब्द नय और समभिरूढ नय मे क्या अन्तर है
?
उत्तर -विषय की अपेक्षा इन मे कोई भेद नही पर शब्द की अपेक्षा भेद अवश्य है |
(i) शब्द नय का विषय भी एक अभेद शब्द पर्याय है और इसका विषय भी वही शब्द पर्याय है ।
(ii) वह भी अर्थ प्रधान नही है और यह भी अर्थ प्रधान नही है ।
(iii) वह भी एकत्व का ग्रहण करके कार्य कारण आदि भावो को स्वीकार नही करता, और यह भी नहीं करता ।
यह तो इन दोनो मे अभेद है अब भेद सुनिये ।
(i) शब्द नय तो समान लिंग आदि के वाचक शब्दो मे व्युत्पत्ति अर्थ की अपेक्षा भेद किये बिना उन्हे सर्वथा एकार्थ वाचक स्वीकार करता है, परन्तु समभिरूढ नय उनमे व्युत्पत्ति अर्थ की अपेक्षा अर्थ भेद मानता है ।
(ii) यद्यपि दोनो ही नय एक पदार्थ को अनेको नामो से पुकारते है अर्थात एक अर्थ के अनेक वाचक शब्द स्वीकार करते है परन्तु इनकी स्वीकृति के क्षेत्र मे महान अन्तर है । शब्द नय तो उन्हे वास्तव मे एकार्थवाचक मानता है पर समभिरूढ़ नय केवल रूढ़ि वश ।