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१५ शव्दादि तीन नय
५.
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शब्द उपाय है और वस्तु उपेय है ।
इसके अतिरिक्त इन दोनो मे अभेद मानने पर छुरा और मोदक शब्दो का उच्चारण करने पर क्रम से मुख के कटने और मीठे होने का प्रसंग आता है ।
६ समभिनय के
कारण व प्रयोजन
अत दोनो मे समानाधिकरण्य न होने से अभेद नही हो सकता । कदाचित शब्द और वस्तु मे विशेषण विशेष्य भाव मानकर यदि शब्द को वस्तु का धर्म स्वीकार करे तो यह भी सम्भव नहीं है, क्योकि विशेष्य से भिन्न विशेषण नही होता, कारण कि ऐसा मानने में अव्यवस्था की आपत्ति आती है । अतएव शब्द वस्तु का धर्म न होने से उसके भेद से अर्थ भेद नही हो सकता है ?
१. ध 18 पृ. १७६
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इस शका का समाधान धवलाकार ने पुस्तक न० ९ के पृष्ठ न १७९ पर और कपाय पाहुड़ पुस्तक १ - पृष्ठ २४१ पर निम्न प्रकार किया है.
उत्तर- "यह कोई दोष नही है, क्योकि, विशेष्य से भिन्न भी वस्त्राभरणादिको के विशेषणता पाई जाती है (जैसे वह लाल कोट वाला व्यक्ति ऐसा कहने से उसी व्यक्ति विशेष का ग्रहण हो जाता है) ।
और विशेष्य से विशेषण को एक मानने पर उनमे व्यवच्छेद व्यवच्छेदक (भेद्य व भेदक ) भाव मानना भी योग्य नही कहा जा सकता, क्योकि, अभेद मानने पर उसका विरोध है । शब्द अपने से भिन्न समस्त पदार्थो का व्यवच्छेदक (भेद करने वाला) नही हो सकता,