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१५ शब्दादि तीन नय
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२. ध० ।पु० १ । पृ० ८६ ।६ " शब्दपृष्ठतोऽर्थग्रहणप्रवण :
नयः ।"
३ श्ल० वा० 1१1३३ /७२
अर्थ – शब्द को ग्रहण करने के बाद अर्थ ग्रहण करने में समर्थ
-
शब्द नय है ।
६. शब्द नय का लक्षण
भेदाद्भिन्नमर्थं शपतीति शब्द नय. । "
(प्र. क
मा. पृ० २०६ )
अर्थ – काल, कारक, लिंग, संख्या, साधन, उपग्रह, आदि के भेदो
-
से भेद रूप शब्दों का भिन्न भिन्न अर्थ जो ग्रहण करता है
वह शब्द नय है ।
शब्द
"कालकारक लिगसंख्यासाधनपग्रह
४.आ प.१६ ।पृ० १२४ " शब्दात् व्याकरणात् प्रकृतिप्रत्ययद्वारेण सिद्ध शब्द: शब्दनय. ।”
अर्थः-- जो शब्द व्याकरण, प्रकृति प्रत्यय आदि से सिद्ध हो उसे शब्द न कहते है ।
२. लक्षण नं ० २ ( भिन्न लिंगादि वाले शब्दों का भिन्न अर्थ
२ प्र. क. मा. पृ० २०६
१ श्ल वा ।१ ३३ । श्ल ६८ " कालादिभेदतोऽर्थस्य भेद यः प्रतिपादयेत् । सोऽत्र शब्दनय. शब्द प्रधानत्वादुदाहृत. १६८ | "
अर्थ - काल सख्या कारक आदि के भेद से जो अर्थ के भेद का प्रतिपादन करे, शब्द प्रधान होने के कारण उसे ही यहा शब्द नय कहा गया है ।
"कालकारकलिगसख्यासाधनोपग्रह
भेदाद्भित्रमर्थं शपतीति शब्दो नयः । "