SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 292
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२. नैगम नय २६६ ४. द्रव्य नैगम नय इस प्रकार इन तीन के कुल १२ भेद हो जाते है । इनमें भी द्रव्य नैगम, पर्याय नैगम और द्रव्य पर्याय नैगम यह तीन सामान्य भेद है, अर्थात उन पूर्वोक्त धर्म धर्मी आदि के ही पर्याय वाची नाम है । दो धर्मियो मे एकता के संकल्प का नाम ही द्रव्य नैगम है, जिसके कि दो भेद है - शुद्ध व अशुद्ध । इसी प्रकार दो धर्मो में एकता के सकल्प का नाम ही पर्याय नैगम है, जिसके कि दो भेद है-अर्थ व व्यञ्जन | धर्म धर्मी में एकता के संकल्प का नाम ही द्रव्य पर्याय नैगम है, जिसके कि चार भेद है - शुद्ध द्रव्य अर्थ पर्याय मे, अशुद्ध द्रव्य अर्थ पर्याय, शुद्ध द्रव्य व्यञ्जन पर्याय और अशुद्ध द्रव्य व्यञ्जन पर्याय | इस प्रकार तीन तो सामान्य भेद है और शेष नौ उनके उत्तर भेद है । अब इन का ही क्रम से कथन किया जायेगा । उनमे भी पहिले द्रव्य नैगम वक्तव्य है । इतने ही नही और भी अनेको विकल्प इन भेदों मे उत्पन्न किये जा सकते है, यदि द्रव्य व पर्याय इन, सामान्य वाची शब्दों को हटाकर इनके स्थान पर, इनको ग्रहण करने वाले सातो नयों के नाम लगा कर उनके सयोगी भंग बना दिये जाये तो जैसे - शुद्ध द्रव्य नैगम. - १. शुद्ध द्रव्य ऋजुसूत्र नैगम, २ शुद्ध द्रव्य शब्द नैगम, ३ . अशुद्ध द्रव्य समभिरूढ़ नैगम, ४. शुद्ध द्रव्य एवभूत नैगम | अशुद्ध द्रव्य नैगम -- १. अशुद्ध द्रव्य ऋजुसूत्र नैगम, २ . अशुद्ध द्रव्य शब्द नैगम, ३ . शुद्ध द्रव्य समभिरूढ नैगम, ४ अशुद्ध द्रव्य एवभूत नैगम । अर्थ पर्याय नैगम.--१. ज्ञान अर्थ पर्याय नैगम, २ . ज्ञेय अर्थ पर्याय नैगम, ३. ज्ञानज्ञेय अर्थ पर्याय नैगम
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy