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१२. नगम नय
२६१३ भूत वर्तमान व
भावि नैगम नय भावि नैगम न कह कर वर्तमान नैगम कहा गया है । अर्थात वर्तमान के अनिष्पन्न कार्य को भूतवत् कहना वर्तमान नैगम है।. ..'
उदाहरणार्थ कल्पना कीजिये कि आप ने चुल्हे पर चावल पकने को चढाये है । अतिथि को भोजन कराना है जब तक उन चावलो में एक उबाल नही आ जाता तब तक उनका पकना कुछ दूर दिखाई देता है और इसीलिये उतने समय तक अतिथि को पाक शाला में बुलाने का साहस आप को नहीं हो पाता। क्योकि यद्यपि उन के शीघ्र ही पक जाने का अनुमान है पर निश्चय नहीं कि कितनी देर लगेगी । या यह कहिये कि पकेगें तो अवश्य परन्तु कुछ अधिक देर लगेगी, और अतिथि को प्रतीक्षा मे खाली बैठाना शोभा नहीं देता। इसलिये उस समय तक तो पूछने पर भी आप यही उत्तर देते है कि "बस अभी पक जाते है थोड़ी देर पुस्तक पढिये" ।
परन्तु जब उबाल आजाने के पश्चात् उन्हे सीजने के लिये नीचे कोयलो पर रख दिया जाये तब तो आप पूरे विश्वास के साथ अतिथि को पाक शाला मे ले आते हो ओर यही कहते हो कि “पधारिये खाना तैयार है"। ऊपर तो "अभी पक जाते है" और यह यहा "तैयार है", ऐसे दोनों मे ही प्रयोगो मे यद्यपि वर्तमान काल मे तैयारी की सूचना है, परन्तु दोनो मे कुछ अन्तर है । पहिले प्रयोग मे अनिश्चय व कुछ देरी की सूचना और दूसरे प्रयोग मे पूर्ण निश्चय व पूर्ण निष्पत्ति की सूचना है ।
यद्यपि दूसरे प्रयोग के समय भी चावल पूर्ण रीतय. पके नही, पर इस विश्वास पर कि आसन ग्रहण करते तथा कुल्ला आदि करते करते के अवश्य तैयार हो जाने वाले है। परोसने मे देर करनी न पड़ेगी, आप उन्हे पके वत् ही समझ रहे है ! बस पहिला प्रयोग भावि नैगम नय का समझिये और दूसरा प्रयोग वर्तमान नैगम का ।