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________________ १०. मुख्य गौण व्यवस्था २०८ ३ किस को मुख्य किया जाये इतना ही होगा कि तब पूछने वाले तो आप ही होगें पर और श्रोता होगा आपका हृदय । वहा से भी वहीं चार बाते आयेगी। जिन पर से जाना जा सकता है कि विचार करते समय भी विशेष्य (अङ्गी) मुख्य व विशेषण (अङ्ग) गौण होते है। अब तीसरे विकल्प को लीजिये । जीरे के पानी की विशेषताओ के सम्बन्ध में श्रोता से या अपने मन से पूछ-कर देखे कि क्या उत्तर देता है। आप -क्यों भाई ! इस पानी मे जरा बताओ तो कि नमक कम है कि ज्यादा? श्रोता या हृदया -तनिक विचार कर-कुछ कम सा लगता है । आप -अच्छा मिर्च कम है कि ज्यादा ? श्रोता या हृदय --पुनः तनिक चखकर और विचार कर-यह कुछ ज्यादा लगती है। परन्तु थोड़ा सा नमक यदि और मिलादे तो यह भी ठीक हो जायेगी। इसी प्रकार आत्म पदार्थ के सम्बन्ध में विचार करके आप बता सकते है कि यह अधिक ज्ञानी है कि हीन ज्ञानी, विद्वान है कि मूर्ख, क्रोधी है कि शान्त । इस पर से जाना जाता है कि अभेद वस्तु को जानते समय भी आप विशेषणों को सर्वथा भूल गये हो, ऐसा नही है । उनके सम्बन्ध मे पृथक पृथक विचार करने पर वह विशेषण उसमे पृथक पृथक भी भासते हुए अवश्य प्रतीत होते है । तया उस समय अभेद स्वाद प्रतीति मे नहीं आता। या यो कहिये कि वस्तु की विशेषता के सम्बन्ध में विचार करते समय विशेषण मुख्य हो जाते है और विशेष गौण ।
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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