________________
१० मुख्य गौण व्ववस्था
२०७
३. किस को मुख्य किया जाये
आप . -जीरे
के पानी का स्वाद तूने जाना- कैसा आता है ? श्रोता: - एक अभेद विजातीय प्रकार का स्वाद है, कह नही
सकता ।
आपः -- क्या किसी प्रकार भी कह नहीं सकते ?
श्रोता:--जिस प्रकार आपने बताया है उसी प्रकार कहने के अतिरिक्त तो और कोई उपाय सूझता नही ।
आपः--अच्छा बताओ नमक जैसा स्वाद है वहां ? श्रोता:- नही । पृथक पृथक नमक मिर्च जैसा नही है । आपः - तो फिर कैसा है ?
श्रोता: -- नमक जैसा तो है पर नमक जितना ही नही ?
इसी प्रकार आत्मा पदार्थ के सम्बन्ध मे यह उपरोक्त चार बाते ही कहेगा, पृथक ज्ञान वाला है पर ज्ञान मात्र ही नही, सर्व अंगों के नही जा सकता ।
भी उससे पूछे तो
रूप नही है, ज्ञान अभेद रूप है, कहा
बस तो जान लेने के पश्चात के दूसरे विकल्प में केवल अभेद वस्तु या विशेष ही मुख्य है । जिसको दर्शाने के लिये अङ्गो या विशेषणो का निषेध किया जा रहा है । यह निषेध सर्वथा निषेध रूप
नही है, बल्कि " इतना ही नही है कुछ और भी है" इस रूप वाला है । इसी का नाम गौण करना है । अर्थात दूसरे विकल्प में विशेष्य मुख्य है और विशेषण गौण हो जाते है ।
1
अब यदि उस वस्तु के सम्बन्ध मे आपको स्वय विचार करना अभीष्ट हो तो भी उपरोक्त ही दृष्टान्त लागू होगा । अन्तर केवल