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६. शंका ससाधान
5. सप्त भगी
- अब विचारिये क्या यह ठीक है ? क्या सारा का सारा दूध ही है ? दूध तो सम्भवतः उसमे एक पाव होगा, शेष तो पानी ही है । आप भी चकरा गये होंगे यह सुनकर । पर भाई ? विचार कर देखे तो पता चले कि दूध का तो उसमें उतना ही भाग है जितना कि आग पर रखकर जलाते जलाते शेष रह जाये, अर्थात पावडर मिल्क ही वास्तविक दूध है । जितना कुछ जल गया वह तो पानी है, दूध नही।
____वस सेर भर दूध मे दूध को ही स्पष्ट: दर्शाने के लिये यह कहना ही होगा कि इसमे दूध तो एक पाव वाला अंश ही है, शेष बारह छटांक वाला अंश नही, क्योंकि वह दूध नही पानी है। ऐसा कहे बिना यदि केवल इतना कहकर छोड़ दे कि भाई! यह एक पाव दूध है, या इस बर्तन मे एक पाव दूध है, तो बताइये एक अपरिचित व्यक्ति क्या उलझन मे न पड़ जायेगा ? अरे ! क्या कह रहा है यह, साक्षात एक सेर को एक पाव बता रहा है ? या तो इसका दिमाग खराब हो गया है या मेरा।
इसलिये मिले जुले पदार्थो मे स्पष्ट पृथकता दर्शाने के लिये विवक्षित पदार्थ की विवि के साथ साथ दूसरे विद्यमान पदार्थो का और यदि आवश्यकता पढे तो अविद्यमान अन्य सर्व पदार्थो का भी निषेध किया जाना अत्यन्त आवश्यक है । अतः ये अस्ति व नास्ति के दोनो ही भग सार्थक है व्यर्थ नही । इस सिद्धांत का हर समय शब्दो मे प्रयोग हुआ ही करे ऐसा आवश्यक नही, परन्तु भावों मे यह विधि निषेध बरावर वना रहता है, और तभी लोक का व्यवहार चलता है । शास्त्रीय अदृष्ट व सूक्ष्म विषयों को जानने के लिये बुद्धि पूर्वक इसका प्रयोग किया जाता है । अभ्यस्त हो जाने पर भावभासन हो जाने के कारण, फिर वहा भी शब्दों मे इसके प्रयोग की आवश्यकता नही। अत यह वाग्विलस मात्र नही है। .