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...८. सप्त भगी
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६. शंका समाधान उत्तर:- नही आयेगा, क्योंकि यहा अस्तित्व और नास्तित्व का लक्ष्य
एक ही विषय नहीं है, बल्कि भिन्न भिन्न विषय हैं उसी विषय की अपेक्षा अस्तित्व और उसी विषय की अपेक्षा नास्तित्व कहते तो विरोध होता, पर भिन्न भिन्न विषयो' पर लागू होने के कारण विरोध नही आता । अस्तित्व का अर्थ है स्व चतुष्टय या अपने स्वभाव की अपेक्षा अस्तित्व और नस्तित्व का अर्थ है पर चतुष्टय या अन्य पदार्थों के स्वभाव की अपेक्षा नास्तित्व । जैसे उष्णता की अपेक्षा तो अग्नि नाम का पदार्थ सत् है, परन्तु शीतलता की अपेक्षा वह असत् है, अर्थात शीतल स्वभाव वाली किसी अग्नि की सत्ता लोक मे नही है। यहा एक ही अग्नि मे अस्ति व नास्ति का विरोध नहीं है । यदि कहते कि उष्ण स्वभाव की अपेक्षा अग्नि सत् है और उसी उष्ण स्वभाव की अपेक्षा उसकी नास्ति है, तो अवश्य विरोध आता ।
३. शका:-जब दोनों का एक ही अर्थ है, तो दोनों को पृथक पृथक
कहना वचन विलास के अतीरिक्त और क्या है ?
उत्तर:-नही भाई ! ऐसा नहीं है, क्योकि “यह घट है" ऐसा कहने के
साथ साथ “यह पट नही है" ऐसा कहने की यद्यपि कोई आवश्यकता व्यवहार मे प्रतीति नही होती, अनुक्त भी उसका स्वय ग्रहण हो जाता है, परन्तु कठिनता तो वहा पडती है, जबकि दूध पानी वत् घुल मिलकर दो पदार्थ एक हो गए हो, और उस एकमेक दिखने वाले पदार्थ मे से विश्लेषण करके किसी एक अभिष्ट पदार्थ को अलग निकालना पडे । और यह कठिनाई और भी बढ जाती है जबकि यह विवक्षित पदार्थ अदृष्ट हो । जैसे कि गाय के थन से निकले हुए शुद्ध दूध में यदि किसी साधारण व्यक्ति से पूछे, तो क्या उसमे पानी का अस्तित्व स्वीकार करेगा? यही तो कहेगा कि इसमे पानी की एक बूद भी नही है ।