________________
६ द्रव्यं सामान्य
६४ २. द्रव्य व उसके प्रगो का परिचय
पर यदि ज्ञान में उतर कर ईसे ही देखें तो वहा तो बचपन रूप भूतकाल की पर्याय, वर्तमान काल की पर्याय, और अनुमान के आधार पर आगे आप क्या करेगे इस सम्बन्धी रूप रेखाओ के रूप से पडी, भविष्यत काल सम्बन्धी कुछ पर्याये भी दिखाई देती है । 'इसी के आधार पर आप आज भी यह कह उठते हैं" "अरे मेरे बचपन के यह दिन कितने प्यारे है | क्या ही अच्छा हो कि यह जिस प्रकार ज्ञान में बैठे उसी प्रकार बाहर में प्रगट हो जाये ।" और यह भी कदाचित कह बैठते है कि "तुम्हें विश्वास आये या न आयें पर मे तो अभी निकट भविष्य में अमुक अमुक व्यापार करके क्रोडपति वन जाने वाला हूं । इसमें सशय को अवकाश नहीं । बस जानो कि मै आज क्रोडपति ही हूँ | और इसी ज्ञान के निश्चय पर आप लोगों का रुपया भी कर्ज ले लेकर व्यापार मे लगा देते है बस इसी प्रकार सर्वत्र जानना । अर्थात् ज्ञान वस्तु से कुछ अधिक है क्योंकि ज्ञान मे तो एक पर्याय जान लेने के पश्चात उसका चित्र वहा टिक जाता है, वहां से मिटने नही पाता, पर वस्तु मे से वह पर्याय मिट जाती हैं ।
3
TIFI
P-F
८. इमलिए वस्तु को चार प्रकार से १. त्रिकाली एक अखड वस्तु के रूप मे २. रूप वस्तु के रूप मे ३. किसी त्रिकाली सम्पूर्ण अखंड गुण के रूप मे और ४ : उस गुण की समय वर्ती एक पर्याय के रूप मे कल वाले ३० अंगो के चित्रण मे ३० के ३० अगो को एक साथ देखे तो त्रिकाली वस्तु के दर्शन कहे जाते है, नं. १, ६, ११, १६, २१, २६, वाली पड़ी हुई पक्ति को देखे तो एक समय वर्ती एक अखड वस्तु के दर्शन कहे जाते है । न. १ से नं. ५ तक की खड़ी पंक्ति को देखे तो त्रिकाली सम्पूर्ण एक 'क' गुण के दर्शन कहे जाते है । और किसी एक कोष्टक को देखे तो किसी भी गुण की एक पर्याय का दर्शन कहा जाता है । प्रमाण ज्ञान त्रिकाली पूर्ण वस्तु के दर्शन का नाम है । क्योकि हाथी के पाव मे सव का पाव, जहा त्रिकाली वस्तु हो वहां
b
A
समझा जा सकता है - -
समयवर्ती अखंड पिण्ड