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५ . सम्यक और मिथ्या ज्ञान
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११. कुछ लक्षण
__. । (२) इस प्रत्यक्ष प्रतीति के आधार पर निकले
- शब्द व आगम भी प्रमाण है। (३) प्रमाण ज्ञान की विषयभूत वह अखण्ड
- वस्तु भी प्रमाण है। ७. नय (१) उस प्रमाण रूप चित्रण की प्रतीति में
से कोई एक अंग का पृथक विचार, नय । ज्ञान है। (२) उस नय ज्ञान के आधार पर बोला या
लिखा गया शब्द, नय शब्द या नय
वचन हैं। (३) नय ज्ञान का विषयभूत वस्तु का वह
___अंग भी, वस्तु की नय है । ८. प्रत्यक्षज्ञान:-- वस्तु के अनुरूप ज्ञान पट पर पडा सहज
प्रतिबिम्ब प्रत्यक्ष ज्ञान है । ९. परोक्ष ज्ञान:- शब्दों व भावों के अनुमान के आधार
पर ज्ञान पट पर खेचा गया वस्तु अनुरूप कृत्रिम अखड चित्रण, परोक्ष ज्ञान है।
इन नौ लक्षणो मे पहिले तीन लक्षण केवल वस्तु के संबध मे ही लागू होते है। अगले दो लक्षण वस्तु व ज्ञान दोनों के संबंध मे लागू होते है। अगले दो लक्षण ज्ञान व शब्द व वस्तु तीनो के संबध मे लागू होते है। यहां नं. ४ से न. ९ तक के ६ लक्षण जो ज्ञान मे लागू होते है उनमे सम्यक् व मिथ्यापना दर्शा देना अभीष्ट है। यही बात इस अध्याय में समझाई गई है। फिर एक बार दोहरा देता हूँ। हृदय पट पर वस्तु के अनुरूप अखंड चित्रण रूप प्रमाण ज्ञान या अनुभव के सद्भाव के