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५. सभ्यक व मिब्या ज्ञान
११. कुछ लक्षण
के प्रकरणो मे उन उन शब्दो का प्रयोग होने पर आप उस उस शब्द का वही वही अर्थ समझे जो कि मुझे अभिप्रेत है, वह अर्थ न समझे जो कि पहिले से कदाचित आप जानते है । तभी मेरे वक्तव्य को आप समझने मे सफल हो सकेगे । अतः यहां उन सर्व शब्दों के लक्षण एक स्थान पर संग्रहीत करने योग्य है ।
११. कुछ
लक्षण
१. गुण - वस्तु के त्रिकाली अग को गुण कहते है |
२. पर्याय - गुण के क्षणवर्ती परिवर्तनशील अंग को पर्याय कहते है ।
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३. वस्तु गुण व पर्यायो के एक अखंड त्रिकाली ध्रुव पिड का नाम वस्तु है । अनेको अगों का पिड होने के कारण वस्तु अनेकान्त है ।
४. अनेकान्त
( १ )
५. एकान्त
६. प्रमाण
अनेक अगो का पिड होना ही वस्तु का अनेकाग या अनेकान्तपना है ।
( २ ) इस अनेकान्त वस्तु के अनुरूप ज्ञान मे प्रतिबिम्ब या हृदय पट पर खिचा अखंड चित्रण का सद्भाव, ज्ञानकार अनेकान्तपना है ।
(१) इन अनेकों में से कोई भी एक ढो आदि अधूरे अंग, वस्तु का एकान्तपना है । ( २ ) इन अधूरे अंगो का यथा स्थान ज्ञान के चित्रण मे ग्रहण, ज्ञान का एकान्तपना है ।
(१) वस्तु के अनेक अंगो का एक साथ हृदय पट पर वस्तु के अनुरूप, एक रसात्मक (Burned) अखण्ड चित्रण की प्रत्यक्ष प्रतीति हो, प्रमाण ज्ञान है ।
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