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मेरठकी ओर हैं। आपके कमरामे सरस्वतीभवन है। सब तरहकी पुस्तकें
आपके भण्डारमें विद्यमान हैं। हस्तलिखित शास्त्र भी १०० होंगे। सत्यार्थप्रकाश भी प्रायः जितने प्रकारके मुद्रित हैं सर्व यहाँ पर हैं। प्रायः मुद्रित सभी पुराण इनके पास है। आपके कुटुम्बकी लगभग १०० जनसंख्या होगी। प्रमुख व्यक्ति यहीं पर रहते हैं। खुर्जा पाते ही पिछले दिन स्मृति पटलमें अद्धित हो गये। उस ज्योतिषीकी भविष्यवाणी भी याद आ गई जिसने कहा था कि तुम वैशाखके बाद खुर्जा न रहोगे। मोहजन्य संस्कार जब तक आत्मामे विद्यमान रहते हैं तब तक यह चक्र चलता रहता है। जब तक अन्तरङ्गसे मूर्छा नहीं जाती तब तक कुछ नहीं होता। केवल विकल्पमाला है । मोहके परिणामोंमें जो जो क्रिया होती है करना पड़ती है। आनन्दका उत्थान तो कषाय भावके अभावमे होता है। गल्पवादसे यथार्थ वस्तुका लाभ नहीं। संसारमे अनेक प्रकारकी आपत्तियाँ हैं जिन्हे यह जीव माहवश सहन करता हुआ भी उनसे उदासीन नहीं होता।
खुर्जामें ३ दिन रह कर चल दिये । नहरके वांध पर आये। पानी वड़े वेगसे वरसा और हम लोग मार्ग भूल गये परन्तु श्री चिदानन्दजीके प्रतापसे उस विरुद्ध मार्गको त्याग कर अनायास ही सरल मार्गपर आ गये। रात्रि होते होते एक ग्राममें पहुंच गये। यहां जिसके गृहमे निवास किया था वह क्षत्रियका था। रात्रिमे उनकी मांने मेरे पास एक चद्दर देखकर बडी ही दया दिखलाई। बोली-वावा ! शरदी बहुत पड़ती है, रात्रिको नींद न आवेगी, मेरे यहां नवीन सौड (रजाई) रक्खी है, अभी तक हम लोगोके काममे नहीं आई, आप उसे लेकर रात्रिको सुख पूर्वक सो जाइये और मैं दूध लाती हूँ उसे पान कर लीजिये, खुर्जासे आये हो थक गये होगे, इससे अधिक हम कर ही क्या सकती हैं ? आशा है हमारी