________________
बनारसकी ओर
४२७ चलकर सवागाँवके स्कूलमें निवास किया । रात्रिको प्रवचन किया। मास्टर लोग आये। सभ्यताकी पराकाष्ठा थी। अभी भारतमे अतिथियोंका सम्मान है। ___यहाँसे चलकर ३ मील पर श्री गोकुल साधुकी कुटियामें निवास किया। आपने बड़े आदरसे स्वागत किया, शाक आदि सामग्री दी तथा साथमें सांयकाल २ मील आये। पकरिया ग्राममें एक राजपूतके मकानमे ठहर गये। स्थान बहुत ही स्वच्छ था। रात्रि सानन्द वीती । प्रातः ४ मील चलकर अमदरा आ गये। यही पर भोजन हुआ। यहाँसे ४ मील चलकर घुनवाराकी धर्मशालामें आ गये। यहीं पर श्री भगवानदासजी सेठ सागरसे आये । साथमे श्री रामचरणलाल तथा मुन्नालालजी कमरया थे। रात्रि सुखसे वीती। प्रातःकाल ४ मील चलकर मदनपुरके बगीचामें ठहर गये । यहीं पर भोजन हुआ। यहाँसे ४ मील चल कर सड़क किनारे धर्मशालामे ठहर गये। प्रातःकाल ३ मील चल कर पौडी आ गये। यहीं पर आहार किया। यहाँ १ ठाकुर जागीरदार आये । बहुत ही सज्जन हैं। यहाँसे चल कर ५ बजे मैहर आ गये। रात्रिको श्री नाथूरामजी ब्रह्मचारीने प्रवचन किया । समुदाय अच्छा था। दूसरे दिन कटनीसे पं० जगन्मोहनलालजी आये । प्रात काल हमारा प्रवचन हुआ। २ बजेसे सभा हुई जिसमे पण्डितजीका भक्तिमार्गपर सुन्दर विवेचन हुआ। जनता मुग्ध हो गई। हमने भी कुछ उपदेश दिया। लोगोंको रुचिकर हुआ। यहाँ पर पूर्णचन्द्रजी बहुत सज्जन हैं। आपकी वृत्ति अत्यन्त उत्तम है। व्यापार करनेमे न्यायका त्याग नहीं । राजाज्ञाका उल्लंघन भी आप नहीं करते। यहाँ श्री राघवेन्द्रसिंह विरमीवाले ठाकुर साहबसे धार्मिक वात हुई। आप निरपेक्ष हैं। यद्यपि आप वैष्णव सम्प्रदायके हैं तथापि जैनधर्मसे प्रेम है। यहाँसे ४३ मील.