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सागर
फाल्गुन कृष्णा १० सं० २००८ को दलपतपुर से ७ मील चल कर चण्डा आ गये । यहाँ पर ८५ घर जैनियोंके हैं । प्रायः सर्व सम्पन्न हैं । थक गये इसलिये रात्रिमे प्रवचन नहीं किया। श्री कुञ्जीलालजी सराफ आदि सागर से कई महानुभाव आये जिनने सागरके समाचार श्रवण कराये। दूसरे दिन प्रातःकाल मन्दिर मे शास्त्रप्रवचन हुआ | जनताकी उपस्थिति अच्छी थी । पाठशालाके लिये अर्थका प्रयास किया । ४००० ) का चन्दा हुआ । यहाँ पर एक प्रभुदयाल दरोगा, जो कि वर्तमानमे रिटायर्ड है, योग्य मनुष्य है । आप प्रत्येक कार्य मे योगदान देते हैं। श्री १०५ क्षुल्लक क्षेमसागर जीने चन्दामे हृदयसे योग दिया। आप जहाँ भोजनको गये वहाँ से प्रेरणा कर ५७०) पाठशालाको दिलाया । यहाँसे चलकर भड़राना आ गये और वहाँसे ६ मील चल कर शाहपुर पहुँच गये ।
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यहाँ कलशारोहणका उत्सव हो रहा था । वाहरसे करीब ५०० जनता आई होगी । रात्रिको पाठशालाका उत्सव हुआ । अपील होने पर १००००) दश हजारका चन्दा हो गया । शाहपुरके मनुष्योंमें देनेका उत्साह बहुत था । सबके परिणाम उदार थे । सवने मर्यादासे अधिक द्रव्य दिया । इस कार्यमे भैयालाल भजनसागर और दयाचन्द्रजीने बहुत परिश्रम किया । द्वितीय दिन मध्यान्होपरान्त पाठशालाका पुनः उत्सव हुआ । श्री हरिश्चन्द्रजी मोदीका उत्साह एकदम उमड़ा। उन्होंने ५०००) पाँच हजार पाठशालाको देना स्त्रीकृत किया, २०००) दो हजार उनके भाई टीकारामजीने दिये और उनके बड़े भाई धप्पेरामजीने २५१) दिये