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ललितपुरकी ओर
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परन्तु ऐसे ऐसे व्यापार करेंगे जिनमे हजारों मन चर्वीका उपयोग होता है, उससे नहीं ढरते । अस्तु, संसार स्वार्थी है । यहाँ से चलकर पुलिस चौकी के समीप एक कूप था वहींपर ठहर गये । ववीना से एक चौका आया था उसीमे निरन्तराय आहार हुआ । यहाँ २ फलांगपर वेत्रवती नदी है । घाट अकृत्रिम है । उस पार जानेको २ नौकायें रहती हैं, बिना किरायेके पार उतार देते हैं । बीचमे पत्थरोंकी चट्टानें हैं, नौका बड़ी सावधानीसे ले जाते हैं, ३ घण्टा नदी पार करने लगता है, पहाड़ी नदी है, पानी अत्यन्त निर्मल है, स्थान धर्मध्यानके अनुकूल है ।
प्रातः ५३ नदीके घाटसे चल कर ७३ वजे कडेसरा पहुँच गये । यहाँ १० घर गोलालारे जैनोंके हैं । मन्दिरके पास हम लोग ठहर गये । यहाँ से पत्राक्षेत्र २३ मील है। ग्रामीण जनता में धर्मका प्रचार हो सकता है परन्तु प्रचारक हों तव वात बने । अगले दिन कडेसरासे चलकर पवाक्षेत्र में आये । यहाँ पर पृथिवीके १० फुट नीचे जिन मन्दिर है जिसमें काले पत्थरकी ४ मूर्तियाँ हैं । १ मूर्ति आदिनाथ स्वामी, १ पार्श्वनाथ भगवान् की तथा १ नेमीनाथ भगवान् की है। सभी प्रतिमाएँ अतिमनोज्ञ चमकदार काले पत्थर की हैं | आदिनाथ भगवान् की मूर्ति वि० सं० १३४५ में भट्टारक शुभकीर्तिदेवके द्वारा प्रतिष्ठापित है । यहाँ पर १ नया मन्दिर नयेगाँवकी सिंधेनने बनवाया है । उसमे १ वेदिका संगमर्मरकी है तथा उस वेदिका पर सुवर्णका चित्राम हो रहा है। मूर्ति अत्यन्त मनोज्ञ है । मन्दिर में संगमर्मरका पत्थर लग जानेसे बहुत ही सुन्दरता आ गई है । मन्दिरके चारों तरफ एक प्राकार है । पूर्व दिशामे १ महान् द्वार है । उसके बगलमें १ बंगला बना हुआ है । पूर्व दिशामें यात्रियोंके निवासके लिये दरवाजेके दोनों ओर कोठा बने हुए हैं। पूर्व प्रवेशद्वारसे थोड़ी दूर पर १ बड़ा कूप है जिसका