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फिरोजाबादकी र
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तुम त्यागी न होते तो निर्वाहके अर्थ कुछ व्यापारादि करते, उसमें तुम्हारा काल जाता अतः जो तुम्हारा भोजनादि द्वारा उपकार करे उसका ज्ञानादि उपकार कर उससे उऋण होना चाहिये ।
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एक बार यहाँ चर्चा उठी कि यह जीव अच्छे बुरे संस्कार पूर्व जन्म लाता है । मेरा कहना था कि सब संस्कार पूर्व जन्मसे नहीं लाता, बहुतसे संस्कार वर्तमान संपर्क से भी उत्पन्न होते हैं । उत्पत्तिके समय मनुष्य नग्न ही होता है और मरण के समय भी नग्न रहता है । मनुष्य जिस देशमें पैदा होता है उसी देशकी भाषाको जानता है तथा जिसके यहाँ जन्म लेता है उसीको आचार उस बालकका
चार हो जाता है । 'जन्मान्तर से न तो भाषा लाता है और न 'आचारादि क्रियाएं | किन्तु जिस कुलमें जो जन्म लेता है उसीके अनुकूल उसका आचरण हो जाता है अतः सर्वथा जन्मान्तर संस्कार ही वर्तमान श्राचारका कारण है यह नियम नहीं | वर्तमान में भी कारणकूटके मिलने से जीवोंके संस्कार उत्तम हो जाते हैं । अन्यकी कथा छोड़ो पशुओं के भी मनुष्य के सहवाससे नाना प्रकारकी चेष्टाएँ देखी जाती हैं और उन बालकोंमे, जो ऐसे फुलोंमें उत्पन्न हुए जहाँ ज्ञानादिके किसी प्रकारके साधन न थे, उत्तम मनुष्योंके सहवास से अच्छे संस्कार देखे गये । वे उत्तम विद्वान् और सदाचारी देखे गये । वर्तमान में जो डा अम्बेडकर है वह विधानसभाका सदस्य है । वह जिस कुलमें उत्पन्न हुआ यद्यपि उसमें यह सब साधन न थे तो भी अन्य उत्तम संपर्क मिलनेके कारण उसकी प्रतिभा चमक उठी । यहाँके जो बालक विलायत में अध्ययन करने जाते हैं उनके आचरण प्रायः जिस देशके शिक्षकों के सहवासमें रहते हैं वहीं हो जाते हैं। इससे सिद्ध होता है कि जीवके कितने ही संस्कार पूर्व जन्मसे आते हैं तो कितने ही इस जन्म के वातावरण से उत्पन्न होते हैं ।