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मेरी जीवन गाया न करो क्योंकि यही संसारकी जड़ है। यदि तुम्हें संसारका अन्त करना है तो परसे आत्मीयता त्यागो। सर्वोत्तम बात यह है कि किसीके चक्रमें न आवे, चक्र ही परिभ्रमणका मुख्य कारण है। मनुष्योंसे स्नेह करना ही पापका कारण है संसारका मूल कारण यही है । जिन्हें संसार बन्धनका उच्छेद करना है उन्हे उचित है कि वे परकी चिन्ता त्यागें। परकी चिन्ता करना मोही जीवोंका कर्तव्य है। __ यहाँ नीलकण्ठ नामक स्थान हैं जिसके कूपका जल अत्यन्त स्वास्थ्यप्रद है, यहाँ रहते हुए मैंने उसीका जल पिया । एकान्त शान्त स्थान है। अधिकांश मैं दिनका समय यहीं व्यतीत करता था। फाल्गुनका मास लग गया और ऋतु में परिवर्तन दिखने लगा भिण्डसे बहुतसे मनुष्य आये और उन्होंने भिण्ड चलनेका आग्रह किया शरीर तथा ऋतुकी अनुकूलता देख मैंने भिण्ड जानेकी स्वीकृति दे दी । स्वीकृति तो दे दी परन्तु आकाशमे मेघकी घटा छाई हुई थी इसलिये उस दिन जाना नहीं हो सका। तीसरे दिन जब आकाश स्वच्छ हो गया तब फागुन कृष्ण ५ को १३ वजे प्रस्थान किया।
इटावाके अञ्चलमें इटावाके पास ही श्रीविमलसागरकी समाधि स्थान है, स्थानकी नीरवता देख १५ मिनट वहाँ विश्राम किया। यह धर्म साधनका उत्तम स्थान है परन्तु कोई ठहरनेवाला नहीं। बातोंके बनानेवाले