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________________ १५ १६ भगवई सुत्त पंकप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥४॥ अहवा गे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा; जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥ ३॥ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमा होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥२॥ अहवा गे रयणप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥ १ ॥ अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा, जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥४॥ अहवा एगे सक्कर- प्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा, जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥३॥ अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥२॥ अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा ॥१॥ अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होज्जा; अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥३॥ अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा; अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥२॥अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा ॥१॥ अहवा एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा अहवा एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभा एगे असत्तमाए होज्जा ॥२॥ अहवा एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥१॥ अहवा एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥१॥ चत्तारि भंते ! णेरइया णेरइय-पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा, छ ? गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए तिण्णि सक्करप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए तिण्णि वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए तिण्णि अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए दो आहेसत्तमाए होज्जा अहवा तिण्णि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा तिण्णि रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे सक्करप्पभाए तिण्णि वालुयप्पभाए होज्जा एवं जहेव रयणप्पभाए उवरिमाहिं समं चारियं तहा सक्करप्पभाए वि उवरिमाहिं समं चारेयव्वं; एवं एक्केक्काए समं चारेयव्वं जाव अहवा तिण्णि तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होज्जा; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो पंकप्पभाए होज्जा एवं जाव एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो 241
SR No.009905
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Mool Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorDevardhigani Kshamashaman
PublisherGlobal Jain Agam Mission
Publication Year2012
Total Pages653
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size8 MB
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