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________________ |१० ११ | १२ | १३ १४ भगवई सुत गंगेया ! चउव्विहे पवेसणए पण्णत्ते, तं जहा- णेरइय-पवेसणए, तिरिक्ख- जोणिय-पवेसणए, मणुस्स पवेसणए, देव पवेसणए । इय-पवेसणए णं भंते! कइविहे पणणत्ते ? गंगेया ! सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा- रयणप्पभा-पुढवि णेरइय-पवेसणए जाव अहेसत्तमापुढवि-णेरइय-पवेसणए । एगे णं भंते! रइए णेरइय-पवेसणएणं पविसमाणे किं रयणप्पभाए होज्जा, सक्करप्पभा होज्जा जाव अहेसत्तमाए होज्जा ? गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा, सक्करप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा । दो भंते! णेरइया णेरइय-पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा जाव अहेसत्तमाए होज्जा ? गंगेया । स्यणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा; एवं जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । एवं एक्केक्का पुढवी छड्डेयव्वा जाव अहवा एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा । तिणि भंते ! णेरड्या णेरइय-पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा जाव अहेसत्तमाए होज्जा ? गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए होज्जा; जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा; जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होज्जा, जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, जाव अहवा दो सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । एवं जहा सक्करप्पभाए वत्तव्वया भणिया, तहा सव्वपुढवीणं भाणियव्वं जाव अहवा दो तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा, जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥५॥ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे 240
SR No.009905
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Mool Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorDevardhigani Kshamashaman
PublisherGlobal Jain Agam Mission
Publication Year2012
Total Pages653
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size8 MB
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