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________________ १७ भगवई सुत्त अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा; एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा | अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाएहोज्जा एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो पंकप्पभाए होज्जा; एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा । एवं एएणं गमएणं जहा तिन्ह जीवाणं तियसंजोगो भणिओ तहा इह वि भाणियव्वो; जाव अहवा दो घूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा | १०५ | अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा । । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा ए रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥ अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा । एवं जहा रयणप्पभाए उवरिमाओ पुढवीओ चारियाओ तहा सक्करप्पभाए वि उवरिमाओ चारियव्वाओ; जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥ अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे 242
SR No.009905
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Mool Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorDevardhigani Kshamashaman
PublisherGlobal Jain Agam Mission
Publication Year2012
Total Pages653
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size8 MB
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