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________________ XXXVI परिशिष्टो - ग्रन्थान्ते नव (९) परिशिष्टो आप्यां छे. प्रथम परिशिष्टमां ग्रन्थान्तर्गत समग्र कथाओनी अकारादि सूचि आपी छे. द्वितीय परिशिष्टमां ग्रन्थगत कथाओ/कथाखण्डोना मूल स्थानना ग्रन्थ सन्दर्भो आप्या छे, अने त्रिषष्टि० साथे तुलना करी छे. तृतीय परिशिष्टमां ग्रन्थगत देश्य-प्राकृत-जूनीगूजराती भाषीय शब्दोनी सूचि. चतुर्थ परिशिष्टमां ग्रन्थगत देश्य-प्राकृत-जूनीगूजराती भाषीय धातुओनी सूचि. पञ्चम परिशिष्टमां ग्रन्थगत सुभाषितो-सूक्तिओ(श्लोको/वाक्यो)नी सूचि. षष्ठ परिशिष्टमां ग्रन्थगत कहेवतो/लोकोक्तिओनी सचि. सप्तम परिशिष्टमां ग्रन्थगत तीर्थकरप्रार्थना/स्तुति श्लोको. अष्टम परिशिष्टमां ग्रन्थगत शास्त्रीय पदार्थो. नवम परिशिष्टमां ग्रन्थगत अन्य ग्रन्थनामनो निर्देश. ३. ग्रन्थनी विशेषता आ ग्रन्थमां केटलीक कथाओ तथा केटलीक बाबतो एवी छे जेनां मूळ अद्य प्रचलित ग्रन्थोमा प्रायः जोवा मळतां नथी. वळी, केटलीक बाबतो उतावळे लखाई गई होय एवी पण छाप पडे. केटलांक सन्दिग्ध स्थानोनो निर्देश को छ : अज्ञात/अल्पज्ञात कथाओ-बाबतो १. भरत चक्रवर्तीनी कथामां – बाहुबलीनी पत्नीना भाई विद्याधरराज प्रह्लादनो पुत्र अनिलवेग, जेने बाहुबलीए पोतानो पुत्र(पुत्तेडय) मान्यो छे ते, भरत साथेना युद्ध प्रसंगो मृत्यु पामे छे ते कथाखण्ड. (पृ. ३५-३७) २. भगवान ऋषभदेवना निर्वाण वखते भरतमहाराजने रडवू नथी आवतुं/आवडतुं, ते समये इन्द्र महाराज पोक मूकीने रडे छे (अने भरत महाराज ने रडवू शीखवाडे छे !), फलतः भरतनो शोक हळवो करे छे. (पृ. ४०) भगवानना निर्वाण बाद तेमना शरीरनो अग्निसंस्कार थयो, त्यारे भगवाननी दाढा व. इन्द्रादि देवोए लीधी. ज्यारे श्रावकोए पण शेष मागी त्यारे देवोए तेमने कुण्डमां अग्नि आप्यो. ते अग्निने धारण करनारा श्रावको अग्निहोत्रिक कहेवाया. (पृ. ४०) ४. शान्तिनाथ भगवानना चरित्र अन्तर्गत नरसुन्दरदेवनी कथा अश्रुतपूर्व जणाय छे. (पृ. ७६) ५. अरनाथ भगवानना चरित्र अन्तर्गत कल्याणदेव-द्रङ्गिकसुतनी कथा अश्रुतपूर्व जणाय छे. (पृ. ९३) मल्लिनाथ भगवाननां, कमल-लंछन अथवा कलस-लंछन एम, विकल्पे बे लंछन कह्यां छे. (पृ. १०४) ९. मुनिसुव्रतस्वामी भगवानने शरद ऋतुना मेघ जोई वैराग्य थाय छे. (पृ. १०४) १०. विष्णुकुमारमुनिनी कथा कही पछी, शान्तिनाथ भगवानना शिष्य महापद्मना भाई विष्णुकुमारमुनिनी ऋषिमण्डलस्तवमां समान कथा आवे छे तेवो उल्लेख छे. (पृ. ११२) ★ ऋषिमण्डलस्तव माटे जुओ संशोधन सामयिक अनुसन्धान-५६, सं. आ.श्रीविजयशीलचन्द्रसूरिजी, (विष्णुकुमारनी कथा पृ.२०, गाथा ११४-१२३मां छे).
SR No.009889
Book TitleKahavali Pratham Paricched Pratham Khand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyankirtivijay
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2012
Total Pages469
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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