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प्रथम परिच्छेद ॥
द्विकाश्चतुर्थपंक्ती लेख्या, तथा शेषाणाम्पञ्चानां तृतीयपंक्तिपरिवर्तन २ रूपेण भागे लब्धौ द्वौ, अत्रापि नट्ठ द्दिद्वैत्यादिगाथारीत्या टालितत्त्वेन चतुष्क त्यत्ववा शेषौ द्वौ अंको पञ्चकत्रिको गतौ तदतनो द्विको नष्टस्थाने लिख्यते पर(१) मेवं समयभेद: स्यादिति तं (२) मुक्त्वा तृतीयपंक्तौ तदतन एकको लिख्यते, एक शेषत्वात् शेषावकी त्रिकपञ्चको क्रमेण लेख्यो, यथा ३५१२४ इदमेकचत्वारिंश रूपम् एवं सर्वोदाहरणेषु ज्ञ यम् ॥१५॥ ॥१६॥
दीपिका-अब नण्ट लाने के लिये क्रिया (३) को कहते हैं:नष्टाङ्क अर्थात् नष्ट रूप का जो संख्याङ्क है, उसमें अन्त्यादि (४) परिवर्ताङ्कों का भाग दिया जाता है, ( भाग देने पर ) जो लब्धाङ्क आता है, उसी अङ्कसंख्या के अनुसार अन्त्यादि अङ्कों को गत जानना चाहिये, तात्पर्य यह है कि नष्ट रूप से पहिले उतनी संख्या वाले अन्त्य आदि अङ्क उस पंक्ति में परिवर्ताड संख्या (५) वार ठहर कर उस में से उठ गये, इसलिये पश्चानुपूर्वी के द्वारा उन से जो अगला अङ्क है उसे नाट जानना चाहिये तात्पर्य यह है कि नष्ट के कथन करने में उस पंक्ति में उसे लिखना चाहिये ऐसा करने पर यदि एक रहे तो शेष रूपों को अर्थात् लिखित रूपों से बचे हुए रूपों को प्रथम आदि पंक्तियों में कम से रखना चाहिये तथा यदि शून्य शेष रहे तो लब्धाङ्क में से एक घटा देना चाहिये इसके पश्चात् एक कम किये हुए लब्धाङ्क संख्या के अनुसार अन्त्यादि अंकों को उस पंक्ति में गत जानना चाहिये, तात्पर्य यह है कि-पहिले स्थापित किये गये थे परन्तु अब उठ गये, (६) पश्चानुपूर्वी के द्वारा उन से जो अगला अंक है. उसे पूर्व लिखे अनसार नष्ट रूप जानना चाहिये, तथा लिखित नष्ट सूपों से जो शेष अंक हैं उन्हें प्रथम आदि पंक्तियों में उत्क्रम (७) से लिखना चाहिये, यहां पर पांच पद को मानकर उदाहरण दिया जाता है-जैसे देखो ! किसी ने यह पूछा कि तीसवां रूप नष्ट है वह कैसा है ? इस लिये यहां पर तीस में अन्त्य परिवर्त २४ का भाग दिया जाता है, ऐसा करने पर लब्धांक एक हुआ, शेप छ रहे, इसलिये यहां पर पांचवीं पंक्ति में एक रूप पांच गया
१-परन्तु ॥२-द्विकम् ॥३रीति. शैली । ४ ' अन्तसे लेकर पूर्व २।५-अर्थात् जो संख्या परिवर्ताङ्क को है उतनोवार । ६-चले गये । ७ क्रम को छोड़कर ।
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