SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रस्तावना ॥ (१३) गया, निदान तारीख १२ जुलाई सन् १९२० ई० से ( कागजकी प्राप्ति होनेपर ) उक्त प्रेस में कार्य का प्रारम्भ किया गया, इस प्रसङ्गमें हम उक्त प्रेस के सु. योग्य अध्यक्ष श्रीमान् विद्वद्वर्य श्री परिडन ब्रह्मदेवजी मिश्र शास्त्री काव्यतीर्थ को अनेकानेक धन्यवाद देते हैं कि- जिन्होंने हमारी प्रार्थना को स्वीकृत कर कार्य की शीघ्रतामें तन मनसे परिश्रम कर हमें अनुगृहीत किया, कार्य में शीघ्रता होनेके कारण ग्रन्थ में कुछ अशुद्धियां विशेषरूपमें हो गई हैं, अतः पाठक वर्ग से निवेदन है कि कृपया प्रदर्शित अशुद्धियों को ठोककर ग्रन्थका अवलोकन करें । यह भी सूचित कर देना आवश्यक है कि कागज़ के खरीदने के समय उसका मूल्य पूर्वापेक्षा ड्योढ़ा हो जानेसे तथा एक स्थान से कार्य को वापिस लेकर अन्यत्र मुद्रणका प्रबन्ध करनेसे ग्रन्थ में लगभग ६०० ) छः सौ रुपये पूर्व निर्धारित व्ययसे अधिक व्यय हुए तथापि इस धर्मसम्बन्धी जगदुपकारी ग्रन्थके प्रचार का विचार कर पेशगी मूल्य देकर तथा ग्राहक श्रेणि में नाम लिखाकर ग्राहक बननेवाले सज्जनोंसे पूर्वनिर्धारित मूल्य ही लिया गया है किन्तु पीछे खरीदने वाले ग्राहकों से हमें विवश होकर तीन रुपयेके स्थान में ३) साढ़ े तीन रुपये मूल्य लेनेका निश्चय करना पड़ा है, आशा है कि या er वृन्द विवशता को विचार इसके लिये हमें क्षमा प्रदान करेंगे । इस प्रकार अनेक विघ्नों का सहन कर तथा अधिक परिश्रम और व्यय कर इस ग्रन्थ को बाचकवृन्द की सेवा में समर्पित करनेका सौभाग्य प्राप्त हुआ है , कहने की आवश्यकता नहीं है कि जब एक मनुष्य किसी वृहत् कठिन कार्य विशे में चिरकालसे व्यग्र रहता है और उसे छोड़ वह दूसरे कार्य में प्रवृत्त होता तब चित्तको अस्थिरता के कारण उस कार्य में कुछ न कुछ त्रुटियां अवश्य रहती हैं; इसी नियम के अनुसार इस विषय में त्रुटियोंका रहना पनितान्त सम्भव है; त्रुटियोंके रहनेका ' दूसरा कारण भी आपको प्रकट कर दिया गया है कि मेरी इतनी विद्या और बुद्धि कहां है कि- मैं उसके आश्रय से पर्याप्ततया स्वप्रतिज्ञात विषय का निरूपण कर सकता, यह निश्चय जानिये कि उक्त महामन्त्र महत्त्व का सागर है, रत्नों Aho! Shrutgyanam
SR No.009886
Book TitleMantraraj Guna Kalpa Mahodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkirtisuri, Jaydayal Sharma
PublisherJaydayal Sharma
Publication Year1920
Total Pages294
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy