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________________ ( ४ ) श्रीमन्त्र राजगुणकल्प महोदधि ॥ आमोद सचारिणी कुसुमकलिका की नवीन उपमा दी क्या वह युक्ति सङ्ग नहीं है ? | उक्त नमस्कार के ऐसे उत्कृष्ट गौरव और महत्व को विचार जैनभ्रातृचर्य का यह परम कर्त्तव्य है कि - यथाशक्ति उस के आराधन और अभ्यास में तत्पर होकर अपने मानव जन्म को सफल करें। अर्थात् उसके समाराधन के द्वारा मानव जन्म के धर्मः अर्थः काम और मोक्षरूप चारों फलों को मास करें। "ज्ञानदर्शनचारित्राणि मोक्षमार्गः” भगवान् उमास्वाति वाचक के इस कचन के अनुसार जैनसिद्धान्त में सम्यक् ज्ञान; दर्शन और चारित्र; इन लोगों का सम्पादन करने से मोक्षमार्ग की प्राप्ति कही गई है, परन्तु सब हीं जानते हैं कि सम्यक ज्ञान, दर्शन और चारित्र का सम्पादन करना कैसा कठिन कार्य है, यह मानने योग्य बात है कि यथार्थतया इन का सम्पादन करना साधु और मुनिराजों के लिये भी प्रतिकठिन कार्य है, तब भला श्रावक जनों का तो कहना ही क्या है, जब यह बात है तो आप विचार सकते हैं कि- मोक्ष की प्राप्ति भी कितनी दुर्लभ है, मोक्ष की प्राप्ति के लिये सम्यक् ज्ञान, दर्शन और चारित्र के सम्पादन करने की बात तो जाने दीजिये, किन्तु इस कथन में भी अत्युक्ति न होगी कि चारित्राङ्ग रूप धर्म का भी सम्यक्तया सम्पादन होना वा करना वर्त्तमान में अति कठिन हो रहा है, जो कि लोक और परलोक के मनोरथों का साधनभूत होने से तत्सम्बन्धी सुखों का दाता है, क्या छोष से यह विषय छिपा है कि हिंसा, संयम, और तप के विना विशुद्ध धर्म की प्राप्ति नहीं हो सकती है * तथा हिंसा संयम, और तप का उपार्जन करना कोई सहज वात नहीं है, क्योंकि 'श्रागम में हिंसा, संयम और तप का जो स्वरूप कहा गया है तथा उनके जो भेद बतलाये गये हैं; उनको जानकर कोई विरले ही ऐसे महात्मा होते हैं जो उनके व्यवहार के लिये अपने विशुद्ध श्रध्यder को उपयुक्त बनाकर प्रवृत्त होते हैं, इस अवस्था को विचार कर कहा जा सकता है कि खड्गकी धारा पर चलना भी सुकर है परन्तु हिंसा न " * श्रीदशवैकालिक में कहा है कि- “धम्मो मंगलमुक्किहो अहिंसासंजमो तवो” अर्थात् धर्म उत्कृष्ट मङ्गल है और वह अहिंसा; संयम और तपः स्वरूप है ॥ J Aho! Shrutgyanam
SR No.009886
Book TitleMantraraj Guna Kalpa Mahodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkirtisuri, Jaydayal Sharma
PublisherJaydayal Sharma
Publication Year1920
Total Pages294
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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