________________
४८
ज्ञानप्रदीपिका |
तृतीये राहुजीवौ चेत्सा वन्ध्या भवति ध्रुवम् ॥५॥ अन्ये तृतीयराशिस्था धनसौभाग्यवर्द्धना ।
राहु और बृहस्पति यदि तृतीय में हों तो स्त्री वन्ध्या होगी । उसी स्थान में अन्य ग्रह हों तो धन और सोहाग से भरपूर होगी 1
नाथा दिनेश स्तिष्ठतो यदि तुर्ये ततोऽशुभः ॥६॥ (१) शनिश्च स्तन्य होना स्यादहिः सापत्न्यवत्यसौ बुधजीवारशुक्राश्चत् अल्पजीवनवत्यसौ ॥७॥
1
चतुर्थ में सूर्य हो तो ( अशुभ फल ), शनि हो तो सन्तानहीना, राहु हो सौत वाली होगी। वहीं बुध बृहस्पति, मंगल या शुक्र हों तो अल्पायु होगी ।
पंचमे यदि सौरिः स्याद व्याधिभिः पोडिता भवेत् । शुक्रजीवबुधाश्चापि पशुश्चेत् बहुपुत्रवत् ॥८॥ चन्द्रादित्यौ तु बन्दी स्यात् अहिश्चेत् मरणं भवेत् ।
आरश्चेत् पुत्रनाशः स्यात् प्रश्ने पाणिग्रहोचिते ॥ ६॥
पंचम में यदि शनि हो तो रोगिणो, शुक्र. वृहस्पति और बुध हों तो बहुत पशु और पुत्र से युक्त, चन्द्रमा और सूर्य हों तो बन्दी, राहु हो तो मरण और मंगल हो तो पुत्रनाश यह वैवाहिक प्रश्न में बताना ।
षष्ठे शशो चेद्विधवा बुधः कलहकारिणी । षष्ठे तिष्ठति शुकश्चेदीर्घमांगल्यधारिणी ||१०|| अन्ये तिष्ठन्ति चेन्नारी सुखिनी वृद्धिमिच्छति ।
षष्ट स्थान में चन्द्रमा हो तो विधवा, बुध हो तो कलहो, शुक्र हो तो सर्व मांगल्य
धारिणी और अन्य ग्रह हों तो सुखो और वृद्धिमती कन्या होती है ।
सप्तमस्थे शनो नारो तरसा विधवा भवेत् ||११|| परेणापहृता याति कजे तिष्ठति सप्तमे । बुधजीवौ सन्मतिः स्याद्राहुश्चेद विधवा भवेत् ॥ १२॥ व्यस्त भवेन्नारी समस्थ रविर्यदि ।
Aho! Shrutgyanam