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शानप्रदोपिका।
आग, शुक्र का दो पक्षो शरट और बक-ये शकुन होते हैं। जीव काण्ड में कहे हुये प्रकार से शकुन दर्शन का विचार कर लेना चाहिये ।
इति निमित्तकाण्डः
प्रश्ने वैवाहिके लग्ने कुजः स्यादुदये यदि । - वैधव्यं शीघ्रमायाति सा वधू नेति संशयः ॥१॥
प्रश्न लग्न में, यदि विवाह संबंधी प्रश्न हो तो, यदि मंगल हो तो शीघ्र विना संदेह के वधू विधवा हो जायगी।
उदये मन्दरे नारी रिकामृगसुता भवेत् । (१) चन्द्रोदये तु मरणं दम्पत्योः शोघ्रमेव च ॥२॥ शुक्रजीवबुधा लग्ने यदि तौ दोर्घजीविनौ ।
लग्न में चन्द्रमा हो तो दोनों स्त्री पुरुष शीघ्र र जायगे, शुक्र बृहस्पति या बुध के लग्न में रहने से वे दीर्घजीवी होंगे।
द्वितीयस्थे निशानाथे बहुपुत्रवती भवेत् ॥३॥
स्थितिमध्यर्कमन्दाराः मनःशोको दरिद्रता । यदि द्वितीय में चंद्र हो तो बहु पुत्रवतो और दशम में सूर्य मंगल और शनि हो तो मानसिक कष्ट ओर दारिद्रय प्राप्त होता है।
द्वितीये राहसंयुक्ता सा भवेत् व्यभिचारिणी ॥४॥
शुभग्रहा द्वितीयस्था मांगल्यायुष्यवर्द्धना । द्वितीय स्थान में राहु हो तो कन्या व्यभिचारिणी और शुभ ग्रह हों तो मंगल और आयु से पूर्ण होती है।
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