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________________ प्रहस्पष्टाधिकारः। भौगादीनामस्तोदयांशज्ञानचक्रम् । प्रड पश्चिमास्तांश ७५१७ ११५४/५९०११३४ पूर्वादयांश | ८०० पूर्वास्तांश पश्चिमोदयांश अगस्त्योदयविधिःपलप्रभा द्वित्रिहता खखाङ्क युता स्फुटार्केण समो यदि स्यात् । याम्ये तदास्यादुदयो निशान्ते मुनेरगस्त्यस्य सुरारि हन्तुः ॥२०॥ इति श्रीमच्छतानन्द विरचितायां भास्वत्यां ग्रहस्पष्टाधिकारश्चतुथः।। सं० टी०-पलप्रभा द्वित्रिहता द्वात्रिंशद्गुणिता खखाङ्कयुता (पुनरष्टगुणिताषष्टि विभाजिता) याम्य स्फुटार्केण समो यदि स्यात् तदा निशान्ते तत्समान राश्यादिके सुरारिहन्तुरगस्त्यस्य मुनेरुदयः स्यात् ॥२०॥ ®"पलभाष्टवधोन संयुता गजशैलावसुखेचरा लवा । *उदाहरण--श्रीकाशीजी की पलभा ५ । ४५ को ८ से गुणा तो ४६. ० हुए इस को दो जगह धर के एक जगह के अंक को ७८ में हीन किया तो अगस्त्य के अस्त का अंशा ३२ मिले, दूसरे जगह को युत किया तो उदय के अंश १४४ हुए, ३२ अंश में ३० का भाग देने से राशि १. अंश २ पर अगस्त्यजी का अस्त और १४४ में ३० का माग देने से राशि ४ अंश २४ पर अगस्त्यनी का उदय स्पष्ट हुआ॥ Aho ! Shrutgyanam
SR No.009873
Book TitleBhasvati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShatanand Marchata
PublisherChaukhamba Sanskrit Series Office
Publication Year1917
Total Pages182
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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