SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 140
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११८ भास्वत्याम् । तस्मिन् चक्र विशोधिते समुदयंयान्ति ध्रुवं खेचराः ॥ १६॥ सं॰टी॰-दहनग्रहे भौमोऽस्तं खजलदे सौम्यांबुधः, अविंदा गुरुः, व्योमाष्टैभृगुजः शुक्रः, रिपु सैर्यमः शनिः, त्रिपन्नगरसैः शशिजो बुधः, काष्ठारिपौभार्गवः शुको लब्धः प्राप्तोऽस्तं यान्ति, एतस्मिन्नेव स्वशीघ्रं चक्र १२०० शांधिते खेचरा ग्रहाध्रुवं समुदयं यान्ति, भौमः ९३ बुधः १७० गुरुः ४६ शुक्रः ८० शनिः ६६ केन्द्रांशगतेऽस्तं मङ्गलः ११०७ बुधः १०३० गुरुः ११५४ शुक्रः १९२० शनि १९३४ केन्द्रांशगते - उदयः भौमेज्यशनीनां पश्चादस्तः प्रागुदयः ज्ञशुक्रयोः प्रागस्तः पश्चादुदयः बुधः ६८३ शुक्रः ६१० केन्द्रांशे पश्चादस्तः, बुधः ५१७ शुक्रः ५९० केन्द्रांशे प्रागुदयः ॥ १९ ॥ - मा० टी० - मंगल ९३ बुध १७० वृहस्पति ४६ शुक्र ८० शनि ६६ केन्द्रांश होने पर अस्त होते हैं। मंगल वृहस्पत्तिशनि पश्चिम दिशा में अस्त होते हैं, और बुध शुक्र पूर्वदिशा में अस्त होते हैं, इसको चक्र में शोधने से मिले अंशों पर मंगलबृहस्पति-शनि पूर्वदिशा में उदय होते हैं, और बुध-शुक्र पश्चिम दिशा में उदय होते हैं अर्थात् मङ्गल ११०७ बुध १०३० बृहस्पति ११५४ शुक्र ११२० शनि ११३४ अंश पर उक्त दिशा में उदय होते हैं, और बुध ६८३ शुक्र ६१० अंश पर पश्चिम में अस्त होते हैं, इसको चक्र से शोधे अंश पर अर्थात् बुध ५१७ शुक्र ५९० अंश पर पूर्व में उदय होत हैं ।। १९ ।। Aho! Shrutgyanam
SR No.009873
Book TitleBhasvati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShatanand Marchata
PublisherChaukhamba Sanskrit Series Office
Publication Year1917
Total Pages182
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy